श्री आनन्द सिंह नेगी

1969 में एस.एस.बी. में डैपूटेशन पर जाने से अनुभवों का विस्तार और अपने इलाके को जानने का तथा 1989 में कार्बेट नेशनल पार्क का डायरेक्टर बनने के बाद वन्य जीवों, उनके पर्यावरण तथा समाज से रिश्ते को गहराई से समझने का मौका मिलना।

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एन.पी. नवानी

त्रिपुरा में जिलाधिकारी; कृषि, वन, पशुपालन, ग्रामीण विकास आदि विभागों में सचिव; योजना तथा कृषि उत्पादन आयुक्त तथा मुख्य सचिव पदों पर सेवा। त्रिपुरा में बड़े पैमाने पर रबर बागानों का विकास; नारियल, काजू, गेहूँ आदि की शुरूआत; हजारों झूमिया जनजाति परिवारों का पुनर्वास। भारत सरकार के चार मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर और अंततः सचिव सूचना एवं प्रसारण। आंगनवाड़ी कार्यक्रम का प्रसार, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के प्रसारण की आमदनी में रिकार्ड बढ़ोत्तरी। 2001 में उत्तरांचल लोक सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष का कार्यभार सम्भाला। केवल तीन महीनों के अन्दर आयोग को पूर्ण रूप से क्रियाशील किया।

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अजय सिंह नबियाल

राजकीय देयकों की वसूली, परिवार कल्याण कार्यक्रम, राष्ट्रीय अल्प बचत योजना एवं 20 सूत्री कार्यक्रम-अन्तर्गत उल्लेखनीय कार्य हेतु जनपद स्तरीय पुरस्कार। भारत की 1981 की जनगणना में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा प्रशस्ति-पत्र। 1987-88 में परिवार कल्याण कार्यक्रम में योगदान हेतु उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। भारत के राष्ट्रपति द्वारा 1991 की जनगणना में असाधारण उत्साह और उच्च कोटि की सेवाओं के लिए रजत पदक प्रदान किया गया।

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नृप सिंह नपलच्याल

जीवन में कतिपय उपलब्धियाँ अवश्य रही होंगी परन्तु मैं अपनी उन उपलब्धियों को उपलब्धि नहीं समझता। इसे ही अपनी उपलब्धि मानकर आगे बढ़ना चाहता हूँ। युवाओं के नाम संदेशः हमारे पहाड़ों की तरह हमारे जीवन मूल्य भी शाश्वत हैं। उनकी रक्षा करते हुए जीवन में उत्कृष्टता के साथ सफलता का प्रयास करें।

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सुभाष धूलिया

मीडिया और जन संचार के क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से कार्यरत। भारतीय जन संचार संस्थान में पिछले 19 वर्षों से एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर अध्यापन। 500 लेख और संचार क्रांति पर दो पुस्तकें प्रकाशित। भारतीय सूचना सेवा के प्रशिक्षण कायक्रमों का संचालन।आई.ए.एस., आई.पी.एस. आई.एफ.एस. और सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षण। सम्प्रति- प्रो. विभागाध्यक्ष हिन्दी पत्रकारिता विभाग, भारतीय जन संचार संस्थान, नयी दिल्ली।

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सुधांशु धूलिया

मानवाधिकार तथा पर्यावरण संरक्षण संस्थाओं से जुड़ना, उत्तराखण्ड आन्दोलन के दमन के समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रस्तुत विभिन्न याचिकाओं की तैयारी में योगदान देना। अनेक जनहित याचिकाओं की पैरवी करना। इस समय आप उत्तरांचल के अपर महा अधिवक्ता हैं।

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तिग्मांशु धूलिया

‘बैंडिट क्वीन’ फिल्म के लिए संवाद लिखे, सह-निर्देशक भी रहे। ‘दिल से’ मणिरत्नम की फिल्म में भी संवाद लिखे। ए.बी.सी.एल. की फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ के लिए कार्य किया। अनेक टेलीफिल्मों की कहानियाँ लिखी। निर्देशन किया। विदेशी फिल्मों का सह निर्देशन किया। ‘इतना सा ख्वाब है’ फिल्म लिखी। ‘हासिल’ का निर्देशन किया। अगली फिल्म ‘चरस’ का निर्देशन कर रहा हूँ।

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