हिमानी शिवपुरी

एन.एस.डी. रंगमंडल में 11 साल कार्य; मित्रो मरजानी, साइलेंस द कोर्ट इज इन सेशन, द चेरी आचर्ड, अचदर का ख्वाब, सूर्य की अंतिम किरण से पहली तक जैसे 150 से अधिक नाटकों में अभिनय किया; हमराही, हशरतें, एक कहानी, अरुन्धती, डालरबदू, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कसौटी आदि 100 सीरियलों और हम आपके हैं कौन, हम साथ-साथ हैं, दिलवाले दुलहनियाँ ले जायेंगे, प्रेमग्रन्थ, हीरो नम्बर वन, बीबी नम्बर वन, दिलजले, परदेश, कभी खुशी, कभी गम, मुझे कुछ कहना है, बन्धन, कुछ-कुछ होता आदि लगभग 80 फिल्मों में अब तक अभिनय किया.

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मोहन चन्द्र भंडारी

नकारात्मक भूमिकाओं को करने के बावजूद पूरे देश में करोड़ों लोगों का प्रेम व समर्थन प्राप्त होना। इंटर बैंक ड्रामा कम्पटीशन में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार। मृगनयनी और परम्परा सीरियलों पर आशीर्वाद पुरस्कार।

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हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’

दून स्कूल में हाउस मास्टर और भारतीय भाषा विभागाध्यक्ष रहते हुए 32 तक वर्ष अध्यापन, एस.एन. कालेज में 5 वर्ष प्रिंसिपल। मूर्धन्य हिन्दी-अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 400 कहानियाँ, उपन्यास, एकांकी, संस्मरण, यात्रावृत्त और लेख प्रकाशित। लगभग 35 पुस्तकें (उपन्यास, कहानी संग्रह, एकांकी, संस्मरण, पर्वतारोहण सम्बंधी पुस्तकें) प्रकाशित। अंग्रेजी में लिखी कहानी ‘स्नो एण्ड स्नो’ को बी.बी.सी. ने प्रसारित किया। अनेक कहानियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद। कई सांस्कृतिक-सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी; कई नाटकों का निर्देशन व मंचन; अनेक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के अध्यक्ष और सचिव। पर्वतारोहण की पृष्ठभूमि पर लिखी पुस्तकों पर उ.प्र. सरकार द्वारा दो बार नकद पुरस्कार, एकांकी लेखन पर स्वर्ण पदक, शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत। दिल्ली संस्कृत अकादमी, कालिदास समारोह समिति, उत्तराखण्ड कला मंच, स्वतंत्रता दिवस समारोह समिति, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, ओ. एन. जी. सी., हिमालय पर्यावरण सोसाइटी आदि कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित और अलंकृत।

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एहसान बख़्श (Ahsan Bakhsh)

कुमाऊं विश्वविद्यालय में बी.एड. परीक्षा में स्वर्णपदक; ग्रामीण क्षेत्र में तीन वर्ष तक अध्यापन कार्य; भारत सरकार के संस्कृति विभाग से जूनियर फैलोशिप; ‘पिथौरागढ़-कैलास मानसरोवर यात्रा पथ’ पुस्तक का लेखन; ‘न्यौली’ सांस्कृतिक समाचार पत्र का संपादन; अग्रणी हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन; राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के साथ देश के प्रमुख नाट्य समारोहों में भागीदारी, देश-विदेश के नाट्य निर्देशकों के साथ कार्य।

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निर्मल पाण्डे

युगमंच, नैनीताल से अभिनय की शुरुआत। ‘तारा आर्ट ग्रुप’ लंदन द्वारा रंगमंचीय कार्य कलाप हेतु आमंत्रित। रंगमंच के क्षेत्र में लंदन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जापान में गहन कार्य। 1997 के ‘कांस’ फिल्म महोत्सव में ‘बैंडिट क्वीन’ के शो के अवसर पर शेखर कपूर के साथ आमंत्रित। फिल्म ‘दायरा’ में ट्रान्स वैसटाइट की भूमिका निभाने पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का वालेंतिये पुरस्कार पाने वाले विश्व के प्रथम अभिनेता। टाइम्स ऑफ इण्डिया द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण में शताब्दी के 100 चर्चित लोगों में शामिल। ‘संवेदना’ नाटक ग्रुप का गठन, जिसका नाटक ‘अंधायुग’ रंगमंचीय जगत में व्यापक चर्चा का विषय बना। एलबम ‘गब्बर मिक्स’ के लिये चैनल वी अवार्ड से सम्मानित। फिल्म टी.वी. के साथ-साथ रंगमंचीय क्षेत्र में सक्रियता से कार्य। । शेखर कपूर कृत ‘बैंडिट क्वीन’ से फिल्म अभिनय प्रारम्भ। फिर आगे बढ़ते चले गये। ‘शिकारी’, ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘औजार’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘दायरा’, ‘हम तुम पे मरते हैं’, ‘जहाँ तुम ले चलो’, ‘गॉड मदर’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, आदि अनेकों फिल्मों में अभिनय। अनेक पुरस्कार तथा कुछ फिल्में निर्माणाधीन। एक एलबम ‘जज्बा’ भी जारी हुआ.

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बंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’

जीविका हेतु क्रमशः अध्यापन, स्टेनोग्राफी और लेखन-कलाकर्म जैसे कार्य किए। लगभग तीन वर्ष तक कुमाउँनी की मासिक पत्रिका ‘आँखर’ का सम्पादन। लगभग 31 वर्ष तक उत्तरायण कार्यक्रम के जरिए कुमाउँनी/गढ़वाली संस्कृति का प्रसार। हिन्दी और कुमाउँनी में कविताएँ, गीत, लेख, संस्मरण, कहानियाँ, नाटक व समीक्षाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कुमाउँनी व हिन्दी में एक-एक कविता संग्रह प्रकाशित।

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तिग्मांशु धूलिया

‘बैंडिट क्वीन’ फिल्म के लिए संवाद लिखे, सह-निर्देशक भी रहे। ‘दिल से’ मणिरत्नम की फिल्म में भी संवाद लिखे। ए.बी.सी.एल. की फिल्म ‘तेरे मेरे सपने’ के लिए कार्य किया। अनेक टेलीफिल्मों की कहानियाँ लिखी। निर्देशन किया। विदेशी फिल्मों का सह निर्देशन किया। ‘इतना सा ख्वाब है’ फिल्म लिखी। ‘हासिल’ का निर्देशन किया। अगली फिल्म ‘चरस’ का निर्देशन कर रहा हूँ।

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