शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’

कुमाउँनी में छः कविता संग्रह तथा कुमाउँनीं कविताओं के दो आडियो कैसेट बने। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा दो पुस्तकों को अनुशंसा पुरस्कार। लगभग पन्द्रह संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित। व्यक्तित्व व कृतित्व पर तीन लघु शोध हो चुके हैं।

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लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’

कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष. बुदापैश्त (हंगरी) में भारतशास्त्र के अतिथि प्रोफेसर. रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, इंग्लैंड, जर्मनी, फिनलैंड आदि की यात्राएं।

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पंकज बिष्ट

विभिन्न प्रसारण सेवाओं में नौकरी करने के बाद ‘आजकल’ मासिक पत्रिका में सम्पादक। तीन कहानी संग्रह ‘पन्द्रह जमा पच्चीस’ व ‘बच्चे गवाह नहीं हो सकते’ और ‘टुन्ड्रा प्रदेश’। दो उपन्यास ‘लेकिन दरवाजा’ व ‘उस चिड़िया का नाम’ व कुछ बाल रचनाएं प्रकाशित व बहुप्रशंसित। संचार माध्यमों व पत्रकारिता पर अनेक लेख प्रकाशित। बाल उपन्यास ‘गोलू और भोलू’ भारतीय और विदेशी भाषाओं में, कई रचनाओं का अनुवाद। ‘समयांतर’ पत्रिका का सम्पादन।

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दीक्षा बिष्ट

लगभग 300 से अधिक लेख समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में प्रकाशित। आकाशवाणी से विभिन्न वैज्ञानिक व तकनीकी विषयों पर 250 से अधिक वार्ताएं प्रकाशित। दो पुस्तकें मौलिक, दो अनूदित एवं चार सम्पादित। हिन्दी में विज्ञान लेखन व उत्कृष्ट सम्पादन के लिए अनेक सम्मानों व पुरस्कारों से सम्मानित। वर्ष 1989 से 2001 तक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका ‘विज्ञान प्रगति’ की सम्पादक तथा वर्तमान में राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान, नई दिल्ली में वैज्ञानिक ‘ई-2’ के पद पर कार्यरत.

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यशपाल सिंह पांगती

कुमाऊँ क्षेत्र की वानस्पतिक तथा पारिस्थितिक अध्ययनों में विशेष योगदान। 125 शोध पत्र प्रकाशित। सात किताबों के सह लेखक। 22 शोध छात्रों का निर्देशन। अनेक शिष्य उच्च संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।

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चारु चन्द्र पाण्डे

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की 1947 की परीक्षा में डबल फर्स्ट सहित सर्वप्रथम स्थान. अध्यापन का राष्ट्रपति पुरस्कार. उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित. उमेश डोभाल स्मृति सम्मान. कुमाउँनी, हिन्दी, अंग्रेजी में लेखन कार्य. ‘अघ्वाल’, ‘सेज गुमानी’, ‘ईकोज फ्राम द हिल्स’, ‘छोड़ो गुलामी खिताब’ पुस्तकें प्रकाशित. 1962 से आकाशवाणी लखनऊ हेतु लेखन एवं प्रसारण. अल्मोड़ा में दीर्घकाल तक साहित्यिक, सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय रहे।

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गोविन्द चन्द्र पाण्डे

राजस्थान और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य। अभी आप सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑव हायर तिब्बतन स्टडीज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑव एडवान्स्ड स्टडी शिमला और इलाहाबाद म्यूजियम के अध्यक्ष हैं। कुछ प्रतिष्ठित पुरस्कार, जिसमें ‘मूर्तिदेवी’, साहित्य अकादमी फैलोशिप, ‘विश्व भारती सम्मान’, ‘शंकर सम्मान’ आदि मुख्य हैं, आपको प्राप्त हुये हैं। डी.लिट. तथा वाचस्पति की मानद उपाधियाँ भी प्राप्त हुयी हैं। अनेक चर्चित किताबों तथा सैंकड़ों शोध पत्रों के लेखक।

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