अम्बा दत्त पाण्डे

छायावादी काव्य में लोकमंगल- पीएच.डी. का शोधप्रबंध प्रकाशित सी.बी.एस.ई. बोर्ड के लिए दसवीं कक्षा की पुस्तक. पीपुल्स पब्लिशिंग हाउस के लिए दो सुप्रसिद्ध पुस्तकों का अनुवाद. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, उ.प्र. सरकार द्वारा विशिष्ट रूप से पुरस्कृत. ‘आधुनिकता और आलोचना’ पुस्तक पर सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड. सुप्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में दर्जनों शोधपरक एवं विचारोत्तेजक लेख प्रकाशित. सुप्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक पत्रों में दर्जनों लेख प्रकाशित।

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हरिश्चन्द्र पाठक ‘अजेय’

राज्यसभा सचिवालय में सेवावधि के दौरान पार्लियामेंटरी इंटरप्रेटर के रूप में राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के लिए भाषांतरण सेवा में योगदान। आकाशवाणी दिल्ली के वार्ता विभाग तथा विदेश प्रसारण सेवा द्वारा वार्ताओं, रूपकों तथा कविताओं का प्रसारण। राष्ट्रीय स्तर की कवि-गोष्ठियों और सम्मेलनों में कविता पाठ। अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। अशोक विहार उत्तरांचल समाज के संस्थापक सदस्य।

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चन्द्र मोहन पपनै

पर्वतीय कला केन्द्र के सचिव, चीन, कोरिया, हांगकांग व थाइलैंड की यात्रा द्वारा भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद, भारत सरकार। वर्तमान में दिल्ली फैडरेशन ऑफ न्यूजपेपर इम्प्लाइज के अध्यक्ष, उत्तरांचल विकास परिषद के सचिव, पाँच पुस्तकों का लेखन, उत्तरांचल पॉप के अनेक गीतों की रचना, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन, अनेक संस्थाओं से सम्बंध, 1979 से समाचारपत्र इंडियन एक्सप्रेस, जनसत्ता में कार्यरत। वर्तमान में प्रकृत लोक पत्रिका के प्रबन्ध संपादक।

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राकेश चन्द्र नौटियाल

अपनी अपंगता से निराश न होकर विषम परिस्थितियों से जूझते हुए भाई-बहिनों की शिक्षा-दीक्षा व जीवन में व्यवस्थित होने में सहायक रहना। स्वयं का जीवन व्यवस्थित करना। 30 वर्ष के अध्यापन अनुभव के अलावा दो कविता एवं एक कहानी संग्रह का प्रकाशन तथा दो पुस्तकें संपादित कीं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में दर्जनों निबंध एवं शोध पत्र प्रकाशित। ‘नैतिकी’ मासिक पत्रिका तथा उत्तराखण्ड शोध संस्थान की ‘शिक्षा शोध पत्रिका’ का सह संपादन। सीमान्त खबर (साप्ताहिक) का साहित्यिक संपादक। सदस्य, सलाहकार समिति, इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नालॉजी एण्ड मैनेजमेंट, चकराता रोड, देहरादून।

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नन्द किशोर नौटियाल

विगत 50 वर्षों से पत्रकारिता लेखन में सक्रिय। नवभारत, लोकमान्य, लोकमत, सरिता, मजदूर जनता, हिमालय टाइम्स, नई कहानियां, हिंदी टाइम्स आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य किया। हिन्दी ब्लिट्ज, मुंबई का उन्नीस वर्ष तक संपादन किया। विभिन्न विषयों पर अब तक लिखे लेखों की एक पुस्तक ‘परिप्रेक्ष्य’ प्रकाशित तथा एक उपन्यास प्रकाशनाधीन।

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चन्द्रमोहन नौटियाल

विद्यार्थी जीवन में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति प्राप्त की. पढ़ाई के दौरान शिक्षणेत्तर गतिविधियों में भी बढ़-चढ़ कर भागीदारी. तीन दर्जन शोध आलेख विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित. अनेक राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान बैठकों और सम्मेलनों में भागीदारी. अमेरिका की मीटियोरिकल सोसायटी द्वारा पुरस्कार स्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय छात्र भ्रमण यात्रा ग्रान्ट प्रदान की गई. ‘इन्सा’ द्वारा युवा वैज्ञानिक मैडल पुरस्कार प्राप्त तथा जर्मनी में छात्रवृत्ति विज्ञान परिषद, इलाहाबाद द्वारा ‘विज्ञान वाचस्पति पुरस्कार’ से सम्मानित। साइंस क्लब द्वारा ‘उ.प्र. विज्ञान संचारक पुरस्कार’। ‘सीमैप’ लखनऊ द्वारा सम्मानित।

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राजेन्द्र धस्माना

1955 से हिंदी कविताओं की रचना। विविध लेख और समीक्षाएँ भी प्रकाशित। अभी तक काव्य संग्रह ‘परवलय’ प्रकाशित। 1960 से अखबार, प्रकाशकों के यहाँ नौकरी के बाद 1978 तक संपूर्ण गांधी वांगमय में सहायक संपादक 1979 से। समाचार प्रभाग, आकाशवाणी एवं समाचार एकक, दूरदर्शन में समाचार संपादक। 1993 से 95 तक सम्पूर्ण गांधी वांगमय में प्रधान संपादक। 1995 में सेवा निवृत्त। 1993 से 2000 तक दूरदर्शन के प्रातः कालीन समाचार बुलेटिन का संपादन (सेवा निवृत्ति के बाद भी)। 1960 से रंगकर्मी के रूप में भी कार्य किया। आठवें दशक से गढ़वाली रंगमंच के लिए नाटक लिखे, जिनमें ‘जंकजोड़’, ‘अर्धग्रामेश्वर’, ‘पैसा न ध्यल्ला गुमान सिंह रौत्यल्ला’, ‘जय भारत जय उत्तराखण्ड’ के मंचन काफी चर्चित रहे। भवानी दत्त थपल्याल के ‘प्रींद नाटक’ का अपडेटिंग किया, जिसके केवल दो प्रदर्शन हो पाये। कन्हैयालाल डंडरियाल के ‘कंस-वध’ का पुनर्लेखन ‘कंसानुक्रम’ के रूप में किया। ‘भड़ भंडारी माधोसिंह’ का मंचन नहीं हुआ। गढ़वाली नाटकों पर 30 स्मारिकाएं और उत्तराखण्ड पर 9 पठनीय स्मारिकाओं का संपादन किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और कुछ संस्थानों के लिए 20 से अधिक डाक्युमेंटरी बनाईं। सम्प्रति उत्तराखण्ड लोक स्वातंत्र्य संगठन (पी.यू.सी.एल.) के अध्यक्ष। उत्तराखण्ड के सामाजिक-राजनीतिक जीवन में सक्रिय योगदान मानव अधिकारों के लिए समर्पित।

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