हरी दत्त पन्त

हरी दत्त पन्त (Hari Dutt Pant)

(माताः स्व. बिसुली देवी, पिताः स्व. गंगा दत्त पन्त)

जन्मतिथि : 15 दिसम्बर 1916

जन्म स्थान : लेजम (पिथौरागढ़)

पैतृक गाँव : बरसायत जिला : पिथौरागढ़

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 7 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : शास्त्री

प्राथमिक शिक्षा- प्राइमरी पाठशाला, थल

मिडिल स्कूल- पोखरी

मध्यमा- बनारस क्वीन्स कालेज, वाराणसी

शास्त्री- हरिद्वार

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1942 में स्वंत्रता संग्राम में शामिल होना।

प्रमुख उपलब्धियाँ : बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन की ओर झुकाव। भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सेदारी। ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ षड्यंत्र के मुख्य आरोपी घोषित और गिरफ्तार। मृत्युदण्ड की सजा जो बाद में 29 साल के कठोर कारावास में बदल दी गयी। जेल के भीतर भी आंदोलन में सक्रिय। स्वतंत्रता के बाद सामाजिक कार्यों में संलग्न तथा गांव में जाकर रहने लगे। उत्तर प्रदेश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में एक।

युवाओं के नाम संदेशः अपने चरित्र, राष्ट्र व कर्म के सवाल पर कोई समझौता मत करो; ये तीनों जीवन के लक्ष्य की ओर ले जाने वाले रास्ते हैं। दूसरों के प्रति सहानुभूति रखो और किसी और के आधार पर अपना व्यवहार परिवर्तित करो।

विशेषज्ञता : संग्रामी, समाज सेवा।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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