जगत सिंह भंडारी

जगत सिंह भंडारी (Jagat Singh Bhandari)

(माताः स्व. धनुली देवी, पिताः स्व. हरक सिंह भंडारी)

जन्मतिथि : 11 जनवरी 1938

जन्म स्थान : भंडरगांव (बग्वालीपोखर)

पैतृक गाँव : भंडरगांव जिला : अल्मोड़ा

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 3 पुत्रियाँ

शिक्षा : एम.ए.

प्राथमिक व मिडिल शिक्षा- बग्वालीपोखर

हाईस्कूल, इंटर- प्राइवेट, उ.प्र. बोर्ड

स्नातक- पत्राचार पाठ्यक्रम महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय

एम.ए. (हिन्दी)- दिल्ली विश्वविद्यालय

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः ग्यारह वर्ष की उम्र में पिताजी की मृत्यु। 1950 से स्कूली शिक्षा में व्यवधान। 1957 में दिल्ली आगमन व लेखन। 1958 में विवाह। 1959 से दिल्ली विश्वविद्यालय में नियुक्त। 1998 में सहायक रजिस्ट्रार पद से सेवानिवृत्त.

प्रमुख उपलब्धियाँ : वर्ष 1958 में श्री रामकोट काव्य प्रकाशन। वर्ष 1958 से लगातार कुमाउँनी रामलीला महोत्सवों में दिल्ली व बग्वालीपोखर में सक्रिय भागीदारी। 1968-69 में कुमाउँनी रामलीला का मलेशिया, सिंगापुर व थाईलैंड में मंचन। 1964-71 तक हिमाद्रिजा (हिन्दी मासिक) का प्रकाशन व सम्पादन, 1971-72 में बग्वालीपोखर क्षेत्र विकास परिषद का गठन। 1981 में दिल्ली में उत्तरांचल समाज का गठन। 1998 में अतुल नवोदय प्रकाशन बग्वालीपोखर का शुभारम्भ। 1999 में बग्वालीपोखर में पुस्तकालय व 2001 में श्रीमती धनुली देवी भंडारी ट्रस्ट का गठन व संचालन।

युवाओं के नाम संदेशः भय न करें, विपत्तियों से क्षुब्ध न हों, सही मार्ग चुन कर आशावादी बन कर प्रयासरत रहें। सुख-दुख को जीवन के बनते-बिगड़ते इतिहास की भाँति ही स्वीकार करें। यदि बुरा न सोचें, बुरा न बोलें और बुरा न करें तो निद्र्वन्द रहेंगे। हर स्थिति में मन, वचन व कर्म का समन्वय बनायें।

विशेषज्ञता : लेखन, सामाजिक कार्य।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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