केदार सिंह कुंजवाल

केदार सिंह कुंजवाल (Kedar Singh Kunjwal)

(माताः स्व. लक्ष्मी देवी, पिताः स्व. कर्म सिंह कुंजवाल)

जन्मतिथि : 16 जुलाई 1928

जन्म स्थान : कुंज

पैतृक गाँव : कुंज, तल्ला सालम जिला : अल्मोड़ा

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : हाईस्कूल

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः आजादी की लड़ाई के दौर में सरकार की गुलामी न करने का संकल्प। इलाहाबाद कृषि संस्थान में बल्लभ भाई से मुलाकात हुई। ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ जाना तय हुआ। 1950 में मेरी पत्नी देवकी जी ने हमारे निदेशक को पत्र लिखा कि मैं भी अपने पति के साथ काम करना चाहती हूँ। फिर दोनों ने वहीं शोध कार्य किया।

प्रमुख उपलब्धियां : स्कूली शिक्षा के बाद सर्वोदय से जुड़ गए| जयप्रकाश नारायण, अन्ना सहस्रबुद्धे, सुरेश राम भाई, विमला ठकार, करण भाई जैसे सर्वोदयी कार्य कर्ताओं के सानिध्य में रहने का अवसर प्राप्त हुआ। 1957 में मिर्जापुर जाकर आदिवासी क्षेत्रों में पांच वर्ष में समाजसेवा का कार्य किया। इस दौरान आचार्य विनोवा भावे के संपर्क में आए और अनेक पदयात्राएँ कीं। 1963 में गांधी स्मारक निधि से जुड़े। 1964 में ग्राम स्वराज्य मंडल कुंज जैंती की स्थापना देवकी कुन्जवाल के साथ की। उत्तराखण्ड में शराबबंदी, वन बचाओ आदि आन्दोलनों में भागीदारी। उत्तरा निर्धूम चूल्हे का विकास, बागेश्वरी चर्खे को नया रूप दिया जिसे ‘कर्मयोगी चर्खा’ नाम दिया गया।

युवाओं के नाम संदेशः जो भी काम करें, देश और समाज को सामने रखकर करें और उपासना वृत्ति से करें।

विशेषज्ञता : ग्रामीण विकास, लोक तकनीक, कुटीर उद्योग, सर्वोदय।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.

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