लीलाधर शर्मा ‘पर्वतीय’

लीलाधर शर्मा ‘पर्वतीय’ ( Leeladhar Sharma ‘Parvatiy’)

(माताः श्रीमती पार्वती देवी, पिताः श्री माधवानन्द जोशी (शर्मा))

जन्मतिथि : 1 जनवरी 1918

जन्म स्थान : बगस्वाड़ (जैंती)

पैतृक गाँव : बगस्वाड़ जिला : अल्मोड़ा

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्री

शिक्षा : ग्राम बगस्वाड़ का प्राइमरी स्कूल, फिर जैंती का मिडिल स्कूल। उसके बाद अनेक वर्षों तक स्वतंत्रता संग्राम में संलग्न रहने के बाद काशी विद्यापीठ वाराणसी से स्नातक (शास्त्री); आचार्य नरेन्द्र देव के शिष्य।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 14 वर्ष की आयु में गणेश शंकर विद्यार्थी के पत्र ‘प्रताप’ तथा प्रेमचन्द के उपन्यासों के प्रभाव से स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित।

प्रमुख उपलब्धियाँ : स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री के सहकर्मी।चार वर्ष से अधिक की दो जेल यात्राएं कीं। 1945 में जेल से छूटने के बाद पत्रकारिता में प्रवेश, दो पत्रों का संपादन, 300 से अधिक लेखों की रचना। अनेक पुरस्कृत पुस्तकों का लेखन व संपादन। हिन्दी समिति के वर्षों तक सचिव। प्रदेश व केन्द्र सरकार की पाठ्य पुस्तकों का लेखन व संपादन। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व उ.प्र. सरकार द्वारा विभिन्न सेवाओं के लिए सम्मानित। 1979 में उ.प्र. के सूचना विभाग में उपनिदेशक के पद से सेवा निवृत्त। अब भी लेखन व सामाजिक कार्यों में सलग्न।

युवाओं के नाम संदेशः सब लोग संगठित होकर अपनी पूरी शक्ति वर्तमान की समस्याओं के समाधान में लगाएं तभी उत्तरांचल के सम्पन्न और उज्जवल भविष्य का निर्माण हो सकेगा।

विशेषज्ञता : संग्रामी, पत्रकार, लेखन, संपादन।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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