मदन मोहन घिल्डियाल

मदन मोहन घिल्डियाल (Madan Mohan Ghildiyal)

(माताः स्व. भुवनेश्वरी घिल्डियाल, पिताः स्व. खीमानन्द घिल्डियाल)

जन्मतिथि : 3 जनवरी 1946

जन्म स्थान : खोला

पैतृक गाँव : खोला जिला : पौड़ी

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : बी.ए., एलएल.बी.

प्राथमिक- आधरिक विद्यालय, खोला

6 से 10 तक- रा.इ.का., श्रीनगर

कक्षा 11- एम.बी. इण्टर कालेज, हल्द्वानी

कक्षा 12- मिशन इण्टर कालेज, रानीखेत

एलएल.बी.- इलाहाबाद विश्वविद्यालय

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः इण्टर पास करने के पश्चात् पिता की मृत्यु; जिस कारण पढ़ाई छोड़कर 1966 में कोआपरेटिव विभाग में नौकरी। 1971 में नौकरी छोड़कर इलाहाबाद वि.वि. में दाखिला। अंशकालिक नौकरी करते हुए बी.ए. एवं एलएल.बी. की डिग्री हासिल की। 1980 में वकालत शुरू की।

प्रमुख उपलब्धियां : इलाहाबाद में रहते हुए भी पहाड़ तथा इसके सरोकारों से सम्पर्क बनाये रखा। ‘सीमान्त प्रहरी’, ‘कर्मभूमि’ एवं ‘पर्वतीय’ आदि पत्रों में लेखन। उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान मुजफ्फरनगर काण्ड के विरोध में स्पेशियल काउन्सिल उत्तर प्रदेश सरकार से इस्तीफा तथा इस काण्ड की जाँच हेतु उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। 1997 में चीफ स्टैंडिंग काउन्सिल उत्तर प्रदेश बने साथ ही नगर निगम इलाहाबाद, हे.न.ब.ग.वि.वि., गढ़वाल जल संस्थान, ओ.एन.जी.सी. के काउन्सिल रहे। 9 नवम्बर 2000 को स्टैंडिंग काउन्सिल उत्तरांचल के रूप में नियुक्त। 30 नवम्बर 2001 को चीपफ स्टैंडिंग काउन्सिल और 18 नवम्बर 2002 को उत्तरांचल उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्ति।

युवाओं के नाम संदेशः जो जज्बा उत्तराखण्ड के लोगों द्वारा 1994 में आन्दोलन के दौरान दिखाया गया यदि वही भावना आज लोगों में आ जाय तो उत्तराखण्ड एक समृद्ध राज्य के रूप में स्थान पायेगा। जो भी व्यक्ति जिस स्थान पर कार्य कर रहा हो, वह मानवीय मूल्यों का निर्वहन करे एवं निष्ठापूर्वक अपने कार्य का सम्पादन करे।मानवीय मूल्यों की समाज में स्थापना ही वक्त की सबसे बड़ी मांग है।

विशेषज्ञता : कानून।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.

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