महाबीर प्रसाद गैरोला

महाबीर प्रसाद गैरोला (Mahavir Prasad Gairola)

(माताः नाम याद नहीं, पिता स्व. माया दत्त गैरोला)

जन्मतिथि : 21 अप्रैल, 1922

जन्म स्थान : टिहरी

पैतृक गाँव : दालढुंग, पट्टी- बडियारगढ़ जिला : टिहरी गढ़वाल

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 2 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : एम.ए., एलएल.बी., पीएच.डी.

हाईस्कूल- प्रताप हाईस्कूल टिहरी

इंटर/बी.ए.- गवर्नमेंट कालेज लाहौर

एम.ए./एल.एल.बी.- इलाहाबाद विश्वविद्यालय

पीएच.डी.- रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली (1983)

अब 80 वर्ष की अवस्था में डी.लिट. कर रहा हूँ।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1943 में दर्शनशास्त्र की एम.ए. प्रथम वर्ष की कक्षा में सन्त प्रो. आर.डी. बर्नाड के सम्पर्क में आने का सौभाग्य मिला। उनका सम्पर्क मेरे जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।

प्रमुख उपलब्धियां : 1945-56 में टिहरी गढ़वाल राज्य के हाई कोर्ट में रीडर व रजिस्ट्रार के पद पर कार्य किया। त्यागपत्र देकर कानून की पढ़ाई करने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला। बिना किसी प्रशिक्षण के जवाहरलाल नेहरू सहित अनेक प्रख्यात व्यक्तियों की प्रस्तर/प्लास्टर प्रतिमाएं बनाईं।अध्यापन के अतिरिक्त गढ़वाली, हिन्दी व अंग्रेजी में लेखन। अनेक उपन्यास, कविता, कहानी व निबंध संग्रह प्रकाशित।

युवाओं के नाम संदेशः उत्तरांचल में अनादि काल से अनेक संतों ने तपस्या की है। यहां आध्यात्मिक संवेदना प्रचुर मात्रा में मौजूद है। हमारा राज्य भारत का सर्वाधिक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक क्षेत्र है। हमें वैचारिक क्रांति के द्वारा धरती पर आध्यात्मिक सोच के अनुरूप साम्य स्थापित करना है।

विशेषज्ञता : दर्शन, साहित्य, कानून।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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