मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral)

(माताः स्व. सत्येश्वरी देवी, पिताः स्व. मित्रानन्द डबराल)

जन्मतिथि : 16 मई 1948

जन्म स्थान : काफलपानी

पैतृक गाँव : काफलपानी जिला : टिहरी

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 1 पुत्री

शिक्षा : बी.ए. (प्रथम वर्ष)

प्राथमिक शिक्षा- काफलपानी (टिहरी)

माध्यमिक- माध्यमिक विद्यालय, काफलपानी

इंटरमीडिएट- प्रताप इंटर कालेज, टिहरी

बी.ए. (प्रथम वर्ष)- देहरादून

मार्क्सवाद का अनौपचारिक अध्ययन

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1970, जब बी.ए. प्रथम वर्ष के बाद नौकरी की तलाश में दिल्ली गया।

प्रमुख उपलब्धियां : ‘हिंदी पेट्रियट’, ‘प्रतिपक्ष’ और ‘आसपास’ में काम करने के बाद भोपाल में ‘पूर्वग्रह’ के सहायक संपादक। छः साल इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में साहित्य संपादक। 1983 से ‘जनसत्ता’ में कार्यरत रहे और अप्रैल 2003 से ‘सहारा समय’ में कार्यकारी सम्पादक (विचार) बने। चार कविता संग्रह- ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’ और ‘आवाज भी एक जगह है’,एक डायरी- ‘एक बार आयोवा’ और एक गद्य संग्रह- ‘लेखक की रोटी’ प्रकाशित। राजस्थान के शिक्षक कवियों के संकलन ‘रेतघड़ी’ और पचास वर्ष की हिंदी कविता ‘कविता उत्तरशती’ का संपादन। बेर्टोल्ट ब्रेष्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर (जर्मन), यासि रित्सोस (यूनानी), ज्बग्नीयेव हेर्बेत, तेदेऊष रूजेविच (पोल्स्की), पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल (स्पानी), डोरा गाबे, स्तांका पेंचेवा (बल्गारी) आदि की कविताओं के अनुवाद। जर्मन उपन्यासकार हेरमन हेस्से के उपन्यास ’सिद्धार्थ’ और बांग्ला कवि नवारुण भट्टाचार्य के संग्रह ‘यह मृत्यु उपत्यका नहीं है मेरा देश’ के सह-अनुवादक।

1988 में बल्गारिया और तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया की यात्रा, 1991 में तीन महीने के लिए अमेरिका के आयोवा विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम की फेलोशिप और कुछ शहरों की यात्रा। 1996-97 में मास्को, मॉरीशस और नेपाल की यात्राएं।

ओम प्रकाश स्मृति सम्मान, श्रीकांत वर्मा पुरस्कार, शमशेर सम्मान,

आधरशिला सम्मान, पहल सम्मान और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

युवाओं के नाम संदेशः अपने परिवेश, अपनी स्मृति और अपने सरोकारों को हमेशा अपने भीतर विकसित करते रहें। यथास्थिति के विरोध में सक्रिय हों। शोषण, भेदभाव, सांप्रदायिकता, जातिभेद से मुक्त हों। एक मानवीय राज्य की रचना का काम करें। पहाड़ की भव्यता और खामोशी दोनों के अर्थ खोजें।

विशेषज्ञता : साहित्य, पत्रकारिता, अनुवाद, संपादन।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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One Thought to “मंगलेश डबराल”

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