मथि पहाड़ु बटि, निस गंगाड़ु बटि..उत्तराखण्ड आन्दोलन मां

नरेन्द्र सिंह नेगी की कैसेट “उठा जागा उत्तराखण्ड्यूं” से लिया गया यह गाना ऐसे समय पर गाया गया जब पूरा उत्तराखण्ड पृथक राज्य प्राप्ति की मांग को लेकर उद्वेलित था। पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग को लेकर आजादी से पहले से ही उत्तर प्रदेश के गढवाल-कुमाऊं के पहाड़ी इलाके के लोग एकजुट होकर प्रयास करने लगे थे। लेकिन 1994 में उत्तराखण्ड क्रान्ति दल व छात्र संगठनों द्वारा शुरु किया गया पृथक उत्तराखंड राज्य के लिये आन्दोलन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण आन्दोलन था। उत्तराखण्ड के लोगों के द्वारा अहिंसात्मक व लोकतंत्रात्मक ढंग से चलाया गया यह आन्दोलन कई मायनों में ऐतिहासिक बन गया। यह एक ऐसा स्वत:स्फूर्त आन्दोलन था जिसमें छात्र, युवाओं, बुजुर्गों, सरकारी कर्मचारियों, बच्चों, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक संगठनों और सबसे आगे रहकर महिलाओं ने भाग लिया। बिना किसी तात्कालिक परिणाम और निर्णय के यह आन्दोलन समाप्त तो हो गया था, लेकिन सरकार के दमनकारी कारनामों और क्षेत्रीय उपेक्षा को अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करने, छोटे राज्यों के निर्माण के लिये सकारात्मक सोच विकसित करने में यह सफल रहा। अन्तत: कुछ सालों बाद उत्तराखण्ड राज्य प्राप्ति का मार्गप्रशस्त भी इसी आन्दोलन से हुआ। उस समय के माहौल को अपने गीत के माध्यम से नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने इस गाने में दिखाने का प्रयास किया है।

भावार्थ – ऊंचे पहाड़ों से उतर कर, नीचे गंगा के किनारों से आकर, स्कूल-दफ़्तरों और बाजार से निकल कर इतनी भारी संख्या में ये लोग कहां जा रहे है? चलते ही जा रहे हैं, बैठने की फुर्सत नही है, रास्ते भरे हैं, सड़कों पर जगह नहीं है। भाई साहब कहां जा रहे हो आप? बहन जी आप कहां जा रही हो? भुला (छोटे भाई) कहां जा रहे हो? सबका एक ही उत्तर है, उत्तराखण्ड आन्दोलन में। बेरोजगार जवान सड़कों पर उतर चुके हैं, दुखी लाचार वृद्ध भी सड़कों में आ गये हैं, बच्चों का भविष्य भी सड़कों पर ही बन रहा है, मां-बहिनें भी अपने दुखों को लेकर सड़क पर उतर चुकी है। चलते ही जा रहे हैं, बैठने की फुर्सत नही है, रास्ते भरे हैं, सड़कों पर जगह नहीं है। बताओ तो सही कहां जा रहे हो आप? सब एकजुट हो कर कहां जा रहे हो? भाई आप सब लोग कहां जा रहे हो? सबका एक ही उत्तर है, उत्तराखण्ड आन्दोलन में.

भूख, प्यास, डर, फिक्र कुछ भी नहीं है, अब तो मुट्ठियां बधी हैं, और कमर कस ली है। हाथों में मशाल और आंखों में अंगार लेकर निकल पड़े हैं। पैर जमीन पर टिके हैं लेकिन नजर आकाश (लक्ष्य) पर लगी है। चलते ही जा रहे हैं, बैठने की फुर्सत नही है, रास्ते भरे हैं, सड़कों पर जगह नहीं है। बड़े भाई कहां जा रहे हो आप? दीदी आप लोग कहां जा रहे हो? छोटे भाई आप लोग कहां जा रहे हो? सबका एक ही उत्तर है, उत्तराखण्ड आन्दोलन में। पिता, दादा और नाती (तीनों पीढियां) सड़कों पर उतर आयी हैं, एकजुट होकर, भेदभाव भुला कर सभी जातियां भी सड़कों में जमा हो गयी हैं। मां-बेटी, सास-बहू सड़कों पर चिंगारी बन कर संघर्ष कर रही हैं। चलते ही जा रहे हैं, बैठने की फुर्सत नही है, रास्ते भरे हैं, सड़कों पर जगह नहीं है। बोलो तो ! कहां जा रहे हो आप? इकट्ठे होकर आप लोग कहां जा रहे हो? इतनी भारी संख्या में आप लोग कहां जा रहे हो? सबका एक ही उत्तर है, उत्तराखण्ड आन्दोलन में ।

गीत के बोल देवनागिरी में

मथि पहाड़ु बटि, निस गंगाड़ु बटि, , इस्कुल दफ़्तर गौं बजार बटि
मथि पहाड़ु बटि, निस गंगाड़ु बटि, , इस्कुल दफ़्तर गौं बजार बटि
मनख्यूंकि डार धार धारु बटि ,हिटण लग्यां छन…हिटण लग्यां ..
हिटण लग्यां छन बैठणा को लग नी , बाटा भर्यां छन सड़क्य़ुंमां जगा नी
दिदा कख जाणा….., भैजि कख जाणा छां तुम लोग?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (पुरुष कोरस)
दिदि कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां  (महिला कोरस)
भुला कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां  (महिला-पुरुष कोरस)

उत्तराखंड के संघर्ष से राज्य के गठन तक जिन महत्वपूर्ण तिथियों ने भूमिका निभायी वे इस प्रकार हैं- आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मई 1938 में तत्कालीन ब्रिटिश शासन मे गढ़वाल के श्रीनगर में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों को अपनी परिस्थितियों के अनुसार स्वयं निर्णय लेने तथा अपनी संस्कृति को समृद्ध करकने के आंदोलन का समर्थन किया. सन् 1940 में हल्द्वानी सम्मेलन में बद्रीदत्त पाण्डेय ने पर्वतीय क्षेत्र को विशेष दर्जा तथा अनुसूया प्रसाद बहुगुणा ने कुमांऊ गढ़वाल को पृथक इकाई के रूप में गठन की मांग रखी. आगे पढ़ें….

बेरोजगार जवानि सड़क्यूं मां, दुखि लाचार बुढापु सड़क्यूं मां
बेरोजगार जवानि सड़क्यूं मां, दुखि लाचार बुढापु सड़क्यूं मां
भविष्य नौन्यालूं कु सड़क्यूं मां, मां बैणियो कु दुख सड़क्यूं मां
हिटण लग्यां छन…हिटण लग्यां ..
हिटण लग्यां छन बैठणा को लग नी, बाटा भर्यां छन सड़क्य़ुंमां जगा नी
बोला कख जाणा ..बोला कख जाणा.. छां तुम लोग?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)
कट्ठा कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)
सब्बि कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)

भूख न तीस न डर न फिकर छ, मुट्ट बोटी छन कसीं कमर छ
भूख न तीस न डर न फिकर छ, मुट्ट बोटी छन कसीं कमर छ
हाथ्यों मां मुछाला आख्यों मा अंगार, खुटा धरतिमा आगास नजर छ
हिटण लग्यां छन…हिटण लग्यां ..
हिटण लग्यां छन बैठणा को लग नी, बाटा भर्यां छन सड़क्य़ुंमां जगा नी
दिदा कख जाणा, भैजि कख जाणा छां तुम लोग?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (पुरुष कोरस)
दिदि कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां  (महिला कोरस)
भुलो कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां  (बाल स्वर कोरस)

बाबा बि दादा बि नाति सड़क्यूं मां, एक ह्वैनि सब जाति सड़क्यूं मां
बाबा बि दादा बि नाति सड़क्यूं मां, एक ह्वैनि सब जाति सड़क्यूं मां
मां-बेटि सासू-ब्वारि सड़क्यूं मां, आज बणिनि चिनगारि सड़क्यूं मां
हिटण लग्यां छन…हिटण लग्यां ..
हिटण लग्यां छन बैठणा को लग नी, बाटा भर्यां छन सड़क्य़ुंमां जगा नी
बोला कख जाणा ..बोला कख जाणा.. छां तुम लोग?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)
कट्ठा कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)
सब्बि कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)

मथि पहाड़ु बटि, निस गंगाड़ु बटि, , इस्कुल दफ़्तर गौं बजार बटि
मथि पहाड़ु बटि, निस गंगाड़ु बटि, , इस्कुल दफ़्तर गौं बजार बटि
मनख्यूंकि डार धार धारु बटि ,हिटण लग्यां छन…हिटण लग्यां ..
हिटण लग्यां छन बैठणा को लग नी , बाटा भर्यां छन सड़क्य़ुंमां जगा नी

बोला कख जाणा ..बोला कख जाणा.. छां तुम लोग?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)
कट्ठा कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)
सब्बि कख जांणा छा तुम लोग ?
उत्तराखण्ड आन्दोलन मां (महिला-पुरुष कोरस)

गीत : [audio:uttarakhand-aandolan-maa-narendra-singh-negi-merapahad.mp3]

इस गीत का चुनाव व हिन्दी अर्थ हमारे सदस्य और लेखक हेम पंत का है।

अपना उत्तराखंड में उत्तराखंड से संबंधित गीत केवल उत्तराखंड के संगीत को बढ़ावा देने के लिये हैं। यदि आपको यह पसंद आयें तो निवेदन है कि बाजार से इन्हे सीडी या कैसेट के रूप में खरीद कर उत्तराखंडी संगीत को बढ़ावा दें। हम यथा-संभव सीडी या कैसेट की जानकारी देने का प्रयास करते हैं। यदि आपको इससे संबंधित जानकारी हो तो क़ृपया टिप्पणी में बतायें।

mathi pahadu bati, nis gangadu bati, , iskul daftar gaun bajar bati
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manakhyoonki dar dhar dharu bati ,hitan lagyan chhana…hitan lagyan ..
hitan lagyan chhan baithana ko lag ni , bata bharyan chhan sadkyaunman jaga ni
dida kakh jana….., bhaiji kakh jana chhan tum log?
uttarakhand aandolan man (purush koras)
didi kakh janna chha tum log ?
uttarakhand aandolan man (mahila koras)
bhula kakh janna chha tum log ?
uttarakhand aandolan man (mahila-purush koras)

uttarakhand-movement-posterberojagar javani sadkyoon man, dukhi lachar budhapu sadkyoon man
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bhavishy naunyaloon ku sadkyoon man, man bainiyo ku dukh sadkyoon man
hitan lagyan chhana…hitan lagyan ..
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bola kakh jana ..bola kakh jana.. chhan tum log?
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kattha kakh janna chha tum log ?
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sabbi kakh janna chha tum log ?
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bhookh n tis n dar n fikar chh, mutt boti chhan kasin kamar chh
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hathyon man muchhala aakhyon ma angar, khuta dharatima aagas najar chh
hitan lagyan chhana…hitan lagyan ..
hitan lagyan chhan baithana ko lag ni, bata bharyan chhan sadkyaunman jaga ni
dida kakh jana, bhaiji kakh jana chhan tum log?
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uttarakhand aandolan man (bal svar koras)

baba bi dada bi nati sadkyoon man, ek hvaini sab jati sadkyoon man
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man-beti sasoo-bvari sadkyoon man, aaj banini chinagari sadkyoon man
hitan lagyan chhana…hitan lagyan ..
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Disclaimer : These songs are only to promote Uttarakhandi Music. If you like these then please buy original Cd/Cassettes and help Uttarakhandi Music.

Narendra Singh Negi sung this song in IIC, Delhi on 6th April,2007 where felicitation program of Padma award winners were going on. I was fortunate to present there and witness the same. Following is the video of his recitation. See how powerful this song is even without any music and orchestra.

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2 Thoughts to “मथि पहाड़ु बटि, निस गंगाड़ु बटि..उत्तराखण्ड आन्दोलन मां”

  1. उत्तराखण्ड राज्य की मांग सबसे पहले 1897 में उठी थी, 1923 में इसकी मांग राजा आनन्द सिंह जी ने उठाई और संघर्ष आगे बढ़ता रहा। इस मांग की सफल परिणिति ९ नवम्बर २००० को आंशिक रुप से हुई। अभी लड़ाई लम्बी है और जारी है।

    संघर्ष की तिथियों के बारे में निम्न लिंक पर जानकारी है।
    http://www.merapahad.com/forum/uttarakhand-histor

  2. Harsh Rawat

    Thanks for information
    I like all the song of narender sing negi

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