पार्वती उप्रेती

पार्वती उप्रेती (Parvati Upreti)

(माताः श्रीमती जानकी देवी जोशी, पिताः स्व. पं. श्रीकृष्ण जोशी)

जन्मतिथि : 1 अक्टूबर 1921

जन्म स्थान : नैनीताल

पैतृक गाँव : चीनाखान जिला : अल्मोड़ा

वैवाहिक स्थिति : विवाहिता बच्चे : 3 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : एम.ए., एल.टी.

प्राथमिक शिक्षा चर्च मिशन स्कूल तल्लीताल, नैनीताल में प्राप्त की। तदुपरान्त गृह शिक्षा पर निर्भर रही। गृहस्थी के दायित्वों के साथ जीवन संघर्ष हेतु शैक्षिक प्रमाणपत्रों की आवश्यकता पड़ी तो वर्ष 1951 में हाईस्कूल किया। तद्नन्तर अध्यापन कार्य के साथ-साथ इंटरमीडिएट, बी.ए., साहित्यविशारद व एल.टी. किया। 1972 में एम.ए. लखनऊ विश्वविद्यालय से किया।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः मेरी प्रारम्भिक रचनाओं में देश की सामयिक समस्याओं की ओर ध्यान न देने पर पूज्यनीय पिता जी ने कड़ी आलोचना की। मुझे सावधान किया। मेरी चिन्तन की धरा बदल गयी।

प्रमुख उपलब्धियां : 1985 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या के रूप में अवकाश ग्रहण किया। 25 वर्ष तक निरन्तर आकाशवाणी से सम्बद्ध रही। कविताएं, कहानियां, वार्ताएं प्रसारित होती रहीं। कुछ पुस्तकें भी छपी हैं।जीवन के अनेक उतार-चढ़ावों से जूझते हुए मैंने समाज सेवा के नाते अध्यापन कार्य अपनाया। प्राणप्रण से प्रयास किया कि विद्यालय की बालिकाओं में उच्च शैक्षिक स्तर के साथ देश और समाज के प्रति अपने दायित्वों का बोध् हो। इस हेतु अनेक प्रोजेक्ट चलाए।

युवाओं के नाम संदेशः हमारे युवा वर्ग को आज भारत के एक महत्वपूर्ण भाग के रूप में उत्तरांचल मिला है। इसके विकास, सुख-समृद्धि का दायित्व उन्हें उठाना है। पर्वतीयों की नैतिक श्रेष्ठता, देशभक्ति, त्याग, वीरता, हिमालय के समान ही पवित्र, दिव्य व अटल है। यह इस भू-भाग के नागरिकों की विशेषता है कि वह भारत के रक्षक, प्रेरणास्रोत व मार्गदर्शक रहे। अपनी कर्मठता के बल पर अपने इस राज्य को समृद्ध करें। समाज को दुर्व्यसनों व कुप्रथाओं से मुक्त कर घर की सुख-शांति की रक्षा करें। पर्वतीयों के यश, गौरव की रक्षा करें।

विशेषज्ञता : शिक्षा, साहित्य, स्त्री शिक्षा।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.

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