रमेश चंद्र शाह

रमेश चंद्र शाह (Ramesh Chandra Shah)

(माताः श्रीमती हरिप्रिया शाह, पिताः स्व. ईश्वरीलाल शाह)

जन्मतिथि : 15 सितम्बर1937

जन्म स्थान : अल्मोड़ा

पैतृक गाँव : अल्मोड़ा जिला : अल्मोड़ा

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : पीएच.डी.

नृसिंह बाड़ी पाठशाला, आर्य कन्या पाठशाला अल्मोड़ा में प्रारम्भिक शिक्षा। जी.आई.सी. अल्मोड़ा से इण्टर (साइंस) स्वर्णपदक सहित। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.एससी. तथा आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए. (अंग्रेजी)। भोपाल विश्वविद्यालय से पीएच.डी.

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः सन् 1950 में बाड़ेछीना में पढ़ाते हुए असाध्य चक्षुरोग से पीड़ित। अस्वस्थता में ‘हेलन केलर’ की पुस्तक पढ़कर निराशा से उबर कर रोग पर विजय प्राप्त करने की प्रेरणा प्राप्त की और तब से पीछे मुड़ कर नहीं देखा। यह पुस्तक मुझे मिरतोला के संत और प्रकांड साधक श्री कृष्णप्रेम के सौजन्य से प्राप्त हुई थी।

प्रमुख उपलब्धियाँ : पांच कविता संग्रह, छः उपन्यास, चार कहानी संग्रह, छः निबंध संग्रह एवं सात अलोचना पुस्तकों समेत लगभग चालीस ग्रंथ प्रकाशित। अंग्रेजी में भी तीन ग्रंथ प्रकाशित।म.प्र. संस्कृति विभाग का शिखर सम्मान, भारतीय भाषा परिषद, कलकत्ता तथा म.प्र. साहित्य परिषद द्वारा सम्मानित, उ.प्र. हिन्दी संस्थान से महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार तथा ‘व्यास सम्मान’ से विभूषित। भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद के तत्वावधान में तीन यूरोपीय देशों की यात्राएं व काव्य पाठ किए, टेमेनोस अकादमी, लंदन द्वारा व्याख्यान हेतु आमंत्रित। भोपाल स्थित निराला सृजनपीठ के निदेशक पद पर 1997 से 2000 तक कार्य किया।

युवाओं के नाम संदेशः भारतीय प्रतिभा की साधना-भूमि तथा तपोभूमि उत्तराखण्ड के युवाओं को इस महादेश की महान् परम्परा के अनुरूप अपना व्यक्तित्व गढ़ना होगा। साथ ही इस भूमि की जो सबसे बड़ी विशेषता रही है- विलक्षण आंचलिक विशिष्टताओं के समृद्ध होते हुए भी एक उदार, सर्वग्राही, अखिल भारतीय दृष्टि से ही प्रेरित-परिचालित रहने की- उस विशेषता को उन्हें अपने आचरण में चरितार्थ करना होगा। ताकि उत्तराखण्ड के साथ-साथ समूचा देश उन पर गर्व कर सके। इनको हर क्षेत्र में ऊंचे मानक स्थापित करना है- पर्वत शिखरों की तरह। निर्मल, अप्रदूषित पहाड़ी नदियों की तरह अपनी कथनी-करनी को निर्मल बनाए रखना है। साथ ही दरिद्रता के अभिशाप से अपने लोगों को छुड़ाना है, तदर्थ हर संभव पुरुषार्थ करना है।

विशेषज्ञता : हिन्दी, कुमाउँनी तथा अंग्रेजी साहित्य, आलोचना, दर्शन।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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One Thought to “रमेश चंद्र शाह”

  1. निश्चित ही आपका प्रयास अनुकर्णीय है …प्रस्तुति हेतु आभार ..

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