रतन सिंह रायपा

रतन सिंह रायपा (Ratan Singh Raipa)

(माताः स्व. गोविन्दी देवी, पिताः स्व. लाल सिंह)

जन्मतिथि : 21 दिसम्बर 1943

जन्म स्थान : धारचूला

पैतृक गाँव : बूंदी जिला : पिथौरागढ़

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 2 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : एम.ए. भूगोल

प्राइमरी- प्राथमिक पाठशाला, बूंदी

6 से 10- जी.आई.सी. पांगू

इण्टरमीडिएट- राजकीय इण्टर कालेज, नैनीताल

बी.एस., एम.ए.- डी.एस.बी., कालेज, नैनीताल

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः हाईस्कूल की कक्षा से भाग गाँव पहुँचा। आघात तब पहुँचा, जब मेरे सहपाठी अगली कक्षा में पहुँच गये। संकल्प लिया कि अगले वर्ष से निरन्तर शिक्षा प्राप्त करुंगा और ये निरन्तर जारी रहा। नैनीताल से प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर की डिग्री उत्तीर्ण की।

प्रमुख उपलब्धियाँ : शौका सीमावर्ती जन जाति 1974 का प्रकाशन किया। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में शोध पत्रों का प्रकाशन। प्रकाशन का आधार- मानव विज्ञान व पारिस्थितिकी पर अध्ययन, अंडमान निकोबार के ‘आउनजे, करेन, निकोबारीज’, नागालैण्ड के ‘सीमा, रेनगमा, फोम ‘नेपाली’, लाउथा। आदि, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ के आठ वर्ग भोटा, जौनसार-देहरादून पर विशेष अध्ययन। पिथौरागढ़ के ‘झानवाल’, ‘लाम डोटी चोटी डोटी’, ब्राह्मण और पिथौरागढ़, अल्मोड़ा तथा गढ़वाल के ठाकुरों पर अध्ययन। रं कल्याण संस्थान ;रं त्र्व्यांस, चांदास व दारमा के शौकों द्वारा रं रत्न से सम्मानित)।

युवाओं के नाम संदेशः उत्तराखण्ड के युवको, उत्तराखण्ड की माटी की थाती और थाती की बाती को सदा प्रज्ज्वलित रखें।

विशेषज्ञता : लेखन, शोध, जनजाति अध्ययन।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

Related posts

Leave a Comment