संग्रामी देवी राणा (Sangrami Devi Rana)
(माताः स्व. गल्ली देवी, पिताः स्व. नैन सिंह कठैत)
जन्मतिथि : 12 सितम्बर 1934
जन्म स्थान : जखोला
पैतृक गाँव : तिरोसी जिला : चमोली
वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 3 पुत्र, 2 पुत्रियाँ
शिक्षा : अक्षरों से बहुत वास्ता नहीं रहा। लेकिन मुझे अपनी धरती के बारे में अपनी सोच एवं आत्मज्ञान ही मेरी योग्यता है।
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः पर्यावरण विकास, कृषि आदि विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त करना।
प्रमुख उपलब्धियाँ : महिला मंगल दलों के सहयोग से पर्यावरण के प्रति जागरूकता, गांव में बिजली, पानी व शिक्षा, यातायात, सड़क पैदल मार्ग, 1970 की अलकनन्दा बाढ़ में श्री चण्डी प्रसाद भट्ट जी के सहयोग से बचाव एवं राहत कार्य, महिला मंगल दल का गठन, उजड़े गांव को हरा-भरा बनाया तथा अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास किए। ‘वर्ल्ड वुमैन 1999’ का सम्मान पाने वाली विश्व की 34 वीं और भारत की 5 महिलाओं में एक।
युवाओं के नाम संदेशः मध्य हिमालय क्षेत्र में भू-क्षरण, भूस्खलन को रोकने हेतु सघन वृक्षारोपण करें और अपने जल, जंगल और जमीन के प्रति जागरूकता लाऐं। शराब पहाड़ की बर्बादी और घूसखोरी यहां के पिछड़ेपन का कारण है। इन्हें दूर करें। सार्वजनिक कार्यों में सहिष्णुता लाएं और झगड़ों से दूर रहें।
विशेषज्ञता : आन्दोलन, ग्रामीण विकास, स्त्री प्रश्न, वन संरक्षण.
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।