सुधांशु धूलिया

मानवाधिकार तथा पर्यावरण संरक्षण संस्थाओं से जुड़ना, उत्तराखण्ड आन्दोलन के दमन के समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रस्तुत विभिन्न याचिकाओं की तैयारी में योगदान देना। अनेक जनहित याचिकाओं की पैरवी करना। इस समय आप उत्तरांचल के अपर महा अधिवक्ता हैं।

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दया किशोर आर्य

बड़े कमजोर हालात में छात्रावृत्ति के सहारे पढ़कर IPS में निकल जाने को मैं उपलब्ध् मानूंगा।ईमानदारी, कर्मठता, लगनशीलता व विनम्रता का सहारा लेकर जहाँ भी रहा सफल ही रहा।राजनीतिक प्रश्रय या अन्य प्रकार की बैसाखियों के बिना पहला IPS निदेशक बी.एस.एफ. अकादमी, महानिदेशक (पुलिस) मध्यप्रदेश, महानिदेशक आई.टी.बी.पी., महानिदेशक एन.एस.जी. एवं अंततः भारत के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल बी.एस.एफ. का महानिदेशक बन सका।सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल उ.प्र. का सलाहकार रहा।पर्वतारोहण, एडवेंचर वाटर स्पोर्टस, पर्यावरण व युवा कार्यों से आज भी प्रणेता के रूप में सम्बद्ध हूँ।

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महाबीर प्रसाद गैरोला

1945-56 में टिहरी गढ़वाल राज्य के हाई कोर्ट में रीडर व रजिस्ट्रार के पद पर कार्य किया। त्यागपत्र देकर कानून की पढ़ाई करने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला। बिना किसी प्रशिक्षण के जवाहरलाल नेहरू सहित अनेक प्रख्यात व्यक्तियों की प्रस्तर/प्लास्टर प्रतिमाएं बनाईं।अध्यापन के अतिरिक्त गढ़वाली, हिन्दी व अंग्रेजी में लेखन। अनेक उपन्यास, कविता, कहानी व निबंध संग्रह प्रकाशित।

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मदन मोहन घिल्डियाल

इलाहाबाद में रहते हुए भी पहाड़ तथा इसके सरोकारों से सम्पर्क बनाये रखा। ‘सीमान्त प्रहरी’, ‘कर्मभूमि’ एवं ‘पर्वतीय’ आदि पत्रों में लेखन। उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान मुजफ्फरनगर काण्ड के विरोध में स्पेशियल काउन्सिल उत्तर प्रदेश सरकार से इस्तीफा तथा इस काण्ड की जाँच हेतु उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। 1997 में चीफ स्टैंडिंग काउन्सिल उत्तर प्रदेश बने साथ ही नगर निगम इलाहाबाद, हे.न.ब.ग.वि.वि., गढ़वाल जल संस्थान, ओ.एन.जी.सी. के काउन्सिल रहे। 9 नवम्बर 2000 को स्टैंडिंग काउन्सिल उत्तरांचल के रूप में नियुक्त। 30 नवम्बर 2001 को चीपफ स्टैंडिंग काउन्सिल और 18 नवम्बर 2002 को उत्तरांचल उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्ति।

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