सिरिल आर. रैफियल

सचिव- भुवनेश्वरी महिला आश्रम, अंजनीसैण, टिहरी। सलाहकार-रायल नार्वेयिन एजेंसी, क्रिश्चियन एड, इको-टैक सर्विसेज, जी.टी.जेड., सूफी मूवमेंट (इंडिया), वर्ल्ड विजन, आस्ट्रेलिया उच्चायोग, नई दिल्ली, एशिया फाउण्डेशन, यू.एन.एफ.पी.ए.

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कलावती रावत

विश्व महिला शीर्ष सम्मेलन निधि, जेनेवा के ‘ग्राम्य जीवन में रचनात्मक पुरस्कार’ से सम्मानित। ‘चिपको आन्दोलन’ की जननी दशौली ग्राम स्वराज्य मंडल की सक्रिय सदस्य। बछेर गाँव में बिजली की सुविधा के लिए महिलाओं को संगठित किया। महिला मंगल दल की अध्यक्षा। हिंदुकुश हिमालय के देशों की महिलाओं के संगठन ‘हिमवंती’ की उत्तराखण्ड क्षेत्र की संयोजक। जल, जंगल और जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा विवेकपूर्ण दोहन के लिए चल रहे विभिन्न आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका।

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संग्रामी देवी राणा

महिला मंगल दलों के सहयोग से पर्यावरण के प्रति जागरूकता, गांव में बिजली, पानी व शिक्षा, यातायात, सड़क पैदल मार्ग, 1970 की अलकनन्दा बाढ़ में श्री चण्डी प्रसाद भट्ट जी के सहयोग से बचाव एवं राहत कार्य, महिला मंगल दल का गठन, उजड़े गांव को हरा-भरा बनाया तथा अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास किए। ‘वर्ल्ड वुमैन 1999’ का सम्मान पाने वाली विश्व की 34 वीं और भारत की 5 महिलाओं में एक।

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कुँवर दामोदर सिंह राठौर

बंजर होती अपनी 360 हेक्टेयर नाप भूमि में लाखों स्थानीय प्रजाति के वृक्षों एवं पादपों का रोपण तथा लगभग 24 वर्षों में एक अतिसमृद्ध जैव विविधता से पूर्ण मानव निर्मित वन का निर्माण। इस शान्ति कुंज स्मृति वन में एक सूख चुकी जलधार में पुनः जल प्राप्त करना और उसको स्वयं प्रयोग में लाना एवं शेष जल तलहटी के अन्य ग्रामीणों द्वारा सिंचाई हेतु प्रयोग में लाना। बेरीनाग चाय की उजड़ रही प्रजाति को अपने यहाँ पुनः जीवित करना व अनोखी महक व फ्लेवर वाली चाय को पनपाना।

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ए.डी. मौडी

द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीय सेना में कार्यरत. निदेशक, हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड. संस्थापक सदस्य- प्ब्प्डव्क्. सदस्य, योजना आयोग, 1979-80. विकास परियोजनाओं हेतु वरिष्ठ सलाहकार, जी.टी.जेड., आर्थिक सहयोग मंत्रालय, जर्मनी. चेयरमैन, सेन्ट्रल हिमालयन ईको डेवलपमेंट ऐसोसिएशन (चिया), 1980-91। पांच पुस्तकें प्रकाशित।

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सच्चिदानन्द भारती

चिपको जैसे सामाजिक तथा पर्यावरण आन्दोलन के कार्यकर्ता, दूधातोली लोक विकास संस्थान, बिनसर मंदिर समिति, चन्द्र सिंह गढ़वाली स्मारक निर्माण समिति के संस्थापक- संयोजक। कीनिया की संस्था इन्वायरनमेन्टल लियाजो सेन्टर द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सेवक’ पुरस्कार। उफरैखाल क्षेत्र में वन एवं जल संरक्षण का अनूठा प्रयोग जिसने एक सूखी जलधारा के प्राण लौटा दिए। ‘जल तलाई’ नाम से चर्चित यह अभियान वर्षा जल संग्रहण के द्वारा उफरैखाल और आस पास के गांवों के जलस्रोतों का पुनर्संभरण कर सका है। वन एवं जल संरक्षण के बाद ‘ग्राम देवता’ अभियान के तहत श्रमदान द्वारा गांवों में सामूहिकता का चेतना वापस लौटाने का प्रयास।1981 में ‘बदरीकाश्रम’ नामक पुस्तक का प्रकाशन।

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राजीव पन्त

पिछले 6 वर्षों से ‘योगदान’ संस्था बाल विकास के क्षेत्र में कार्य कर रही है। दिल्ली की पुनर्वास बस्ती जहांगीर पुरी में शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग (अस्वस्थ) बच्चों के लिए शिशु केन्द्र चलाए जा रहे हैं। ग्रामीण व आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं/युवतियों को सिलाई, कढ़ाई, कम्प्यूटर व अन्य कुटीर उद्योगों का प्रशिक्षण, शिक्षा को रोचक बनाने के लिए सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए निःशुल्क रचनात्मक कार्यशालाएं व लेखन।

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