दयानन्द अनन्त

1958 में पहली कहानी ‘गुइयाँ गाले न गले’ के ‘कहानी’ में छपने के साथ रचनात्मक यात्रा शुरु। अब तक 2 कहानी संग्रह, 3 उपन्यास, 5 टीवी नाटक, अनेक हास्य व्यंग्य तथा अनेक अनुवाद प्रकाशित। रूसी दूतावास में जन सम्पर्क अधिकारी भी रहे और फिर स्वतंत्र रचनाकार के रुप में ‘पर्वतीय टाइम्स’ के संस्थापक- संपादक बने। यह पत्र 1980 से 1989 तक प्रकाशित हुआ था। वर्तमान में भी यह प्रकाशित हो रहा है।

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ओम प्रकाश आर्य

पढ़ना, लिखना, समझना और समझाना। युवाओं के नाम संदेशः क्षेत्रवादी, जातिवादी, सम्प्रदायवादी मानसिकता को उखाड़ फेंकें। नशा छोड़ें और महिलाओं, दलितों को बराबरी का दर्जा दें। अंधविश्वास मिटायें और वैज्ञानिक सोच पैदा करें। परिश्रम खासकर शारीरिक श्रम को सम्मान दें। सिर्फ़ नौकरी को जीवन का उद्देश्य न बनायें।

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धर्मानन्द उनियाल ‘पथिक’

अब तक 11 पुस्तकों का प्रकाशन।सैकड़ों लेख प्रकाशित, आकाशवाणी से हिन्दी-गढ़वाली में वार्ताएं प्रसारित।अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संस्थाओं की स्थापना तथा अनेक से जुड़ाव।उत्तराखण्ड में चले कुछ आंदोलनों- विश्वविद्यालय आंदोलन, स्वामी मन्मथन के साथ मद्यनिषेध व बलि विरोधी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।गढ़ गौरव सम्मान;उत्तराखण्ड जन कल्याण समिति, मुंबई का सम्मान; गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा मानपत्र;स्वामी मन्मथन स्मृति सम्मान;कालिदास सम्मान;उत्तराखण्ड गौरव सम्मान गढ़श्री सम्मान।

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देवेन्द्र उपाध्याय

1962 से नियमित लेखन।अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।1971 से पत्रकारिता से जुड़े।1973-1985 तक ‘दैनिक जनयुग’ तथा 1985-1989 तक ‘दैनिक देशबंधु’ (म.प्र.) के दिल्ली ब्यूरो में।अब तक प्रकाशित पुस्तकें: “अजनबी शहर में”, “संदर्भ”, “जंगल और हम” (कविता संग्रह) ,”शहर में आखिरी दिन”, “एक और वापसी”, “उसके हिस्से में”,”इक्कीस कहानियां” (कहानी संग्रह), कई एक चेहरे, आखर, छपते-छपते (उपन्यास), कोहरे की घाटी में, एक खूबसूरत सपना (यात्रा-वृतान्त), समाचार पत्रों की दुनिया में (पत्रकारिता)। संपादनः कूर्मांचल (त्रैमासिक), लोकभूमि (साप्ताहिक), अनास्था, परिभाषा (अनियतकालिक), जवाहरलाल नेहरूः बहुआयामी व्यक्तित्व, पंचायती राज व्यवस्था, उत्तरायणी (उत्तराखण्ड के कथाकारों की कहानियां), आजादी के 50 सालः क्या खोया क्या पाया।

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आनन्द बल्लभ उप्रेती

पत्रकारिता में ‘सरिता’ (1966) तथा ‘संदेश सागर’ (1967) से शुरुआत। सहयोगी स्व. दुर्गा सिंह रावत के साथ 1978 से पहले साप्ताहिक ‘पिघलता हिमालय’ निकाला। 1980 में एक साल तक दैनिक के रूप में निकला। पुनः यह साप्ताहिक के रूप में नियमित प्रकाशित होता रहा। ‘नैनीताल समाचार’, ‘दिनमान’ तथा ‘नवभारत टाइम्स’ के संवाददाता। ‘आदमी की बू’ (कहानी संग्रह) तथा ‘नन्दा जात के बहाने’ किताबें प्रकाशित।

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जोगेन्द्र सिंह कण्डारी

कला, साहित्य, पुरातत्व, भाषा संस्कृति सम्बन्धी 150 से अधिक लेखों का प्रकाशन। कविता संग्रह- 1. मुट्ठियों में बंद आकार (1972), 2. हथेलियों पर अस्तित्व (1993), ‘शब्द भारती’ तथा भारतीय भाषाओं के कवियों का सम्पादन।निबन्ध संग्रह- हिन्दी के गतिमान क्षितिज (1997), राजभाषा हिन्दी विश्व संदर्भ में (2002)। पत्रकारिता- हिन्दी पत्रकारिता की दिशाएँ (2000)। ‘हिन्दी के गतिमान क्षितिज’ को हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा वर्ष 1997-98 का साहित्यिक कृति पुरस्कार।

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दुर्गा चरण (डी.सी.) काला

1945 में पहले लेख इलाहाबाद के ‘लीडर’ तथा ‘अमृत बाजार पत्रिका’ में प्रकाशित। शीघ्र ही ‘लीडर’ में नियुक्ति। 5 साल वहीं रहे। फिर ‘हिन्दुस्तान स्टैण्डर्ड’ दिल्ली में आया। 4-5 साल इस पत्र में रहे। फिर दिल्ली में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ सब एडीटर बने। दुर्गा दास, मुलगाँवकर, वर्गीज तथा अजित भट्टाचार्जी आदि सम्पादकों के साथ कार्य किया। बाद में न्यूज एडीटर बनाया गया। आपातकाल नहीं भाया और उसी तनाव में 1978 में पत्र से इस्तीफा दे दिया। जिम कार्बेट पर उनकी मशहूर किताब ‘कार्बेट ऑव कुमाऊँ’ प्रकाशित। शिकारी- घुमक्कड़ विल्सन पर किताब प्रकाशनाधीन।

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