संजय कोठियाल

ऐतिहासिक पत्रिका ‘युगवाणी’ को एक नया जीवन दिया। इस पत्र के स्तर को बनाये रखना एक चुनौती है.युवाओं के नाम संदेशः वर्तमान कठिन परिस्थितियों से घबरायें नहीं। लड़ाई जारी रखें।

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मनोहर श्याम जोशी

1954-1963 आकाशवाणी दिल्ली और केन्द्रीय सूचना सेवा (फिल्म प्रभाग), बम्बई में सेवारत। दिल्ली से प्रकाशित दिनमान में सहायक संपादक। 1967-82 में ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में संपादक। ‘वीकेंड रिव्यू’ का संपादन। 1984 से स्वतंत्र लेखन। हम लोग, बुनियाद, हमराही, जमीन आसमान, मुंगेरीलाल के हसीन सपने, कक्का जी कहिन जैसे चर्चित और लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिकों का लेखन। कुरु-कुरु स्वाहा, कसप, अधिकारिणी, बुनियाद, एक और पेंच, हरिया हरक्यूलिस की हैरानी (उपन्यास), मन्दिर के घाट की पौडि़यां (कहानी संग्रह), बातों-बातों में (साक्षात्कार), कक्का जी कहिन (व्यंग्य), आदि रचनाओं का लेखन। दो फीचर फिल्मों की पटकथा लेखन। दुर्लभ व्यक्तित्व (कहानी संग्रह) के लिए उ.प्र. हिन्दी संस्थान पुरस्कार।कसप (उपन्यास) के लिए म.प्र. साहित्य परिषद पुरस्कार। मंदिर के घाट की पौडि़याँ (कहानी संग्रह) के लिए शारदा सम्मान।

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हिमांशु जोशी

हिन्दी के अग्रणी कथाकार एवं पत्रकार। गत 40 वर्षों से लेखन तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय। लगभग 25 वर्ष तक ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ में वरिष्ठ पत्रकार के पद पर काम किया। अब तक 7 उपन्यास, 11 कहानी संग्रह, 3 कविता संग्रह, 2 वैचारिक संस्मरण, 2 यात्रा वृतान्त, 2 जीवनियाँ, 2 रेडियो नाटक, 8 बाल साहित्य, 5 सम्पादित ग्रंथ प्रकाशित हुए। अनेक कहानियों एवं उपन्यासों का देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है।‘अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी लेखक मंच’, दिल्ली के महासचिव, ‘आथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ तथा ‘फिल्म राइटर्स एसोसिएशन- के सदस्य। भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की हिन्दी सलाहकार समितियों के सदस्य।दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के लिए भी कार्य किया। अनेक कहानियों, उपन्यासों पर टीवी सीरियल व फिल्में बनीं। अनेक देशों की यात्राएँ कीं। अनेक पुस्तकों को ‘उ.प्र. हिन्दी संस्थान’ के पुरस्कार; दो पुस्तकों पर हिन्दी अकादमी दिल्ली का सम्मान; एक पुस्तक राजभाषा विभाग बिहार सरकार द्वारा पुरस्कृत तथा पत्रकारिता के लिए केन्द्रीय हिन्दी संस्थान (मानव संसाधन मंत्रालय) द्वारा स्व. गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित। सम्प्रति- संपादक ‘वागर्थ’।

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हेमंत जोशी

पिछले 15 वर्षों से पत्रकारिता प्रशिक्षण के क्षेत्रों में अनेक नवीनतम विषयों पर कार्य। हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के विकास की वकालत और उसमें योगदान। रघुवीर सहाय के स्तंभ ‘अर्थात’ का संपादन। ‘पल-प्रतिपल’ पत्रिका के फ्रांसीसी साहित्य विशेषांक का संपादन। ‘महायुद्धों के आसपास’ छः फ्रांसीसी कवियों की कविताओं का अनुवाद और संकलन। पाल एल्युआर और लुई आरागों की कविताओं का ‘तनाव’ पत्रिका के लिए अनुवाद। अनेक समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में मौलिक कविताओं, लेख, समीक्षा का प्रकाशन। रेडियो और टीवी के अनेक कार्यक्रमों में योगदान।

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खड़क सिंह खनी

वन आंदोलन तथा शराब विरोधी आंदोलन से कापफी कुछ सीखा। ये दोनों आंदोलन उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी के नेतृत्व में चले। उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी पर्वतीय युवा मोर्चा को तब्दील कर बनाई गयी थी।दैनिक हिन्ट, गाजियाबाद, दून दर्पण, देहरादून,उत्तर उजाला-हल्द्वानी, संडे पोस्ट साप्ताहिक तथा सांध्य दैनिक चेतना मंच नोएडा में संपादक। रक्त कैंसर से पिछले 5 वर्ष से लड़ रहा हूँ।

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अर्जुन सिंह गुसाईं

मुंबई की सुप्रसिद्ध कैम्ब्रिज शिक्षण संस्था कैम्पियन स्कूल में 33 वर्षों तक अध्यापन। देहरादून से ‘मंदाकिनी’ तथा मुम्बई से ‘हिलांस’ मासिक पत्रिका का संपादन। फिल्म्स डिवीजन में कमेंटेटर, आकाशवाणी में वार्ताकार 20 वर्ष तक। छात्र जीवन में पर्वतीय छात्र संघ देहरादून के महासचिव मुम्बई में उत्तराखण्ड राज्य परिषद के महामंत्री और उत्तराखण्ड क्रांति दल के संस्थापक अध्यक्ष। गढ़वाल भातृ मंडल, मुंबई के 6 वर्षों तक अध्यक्ष; शैल सुमन के 5 वर्षों तक अध्यक्ष और उत्तराखण्ड जन कल्याण समिति के विशेष सलाहकार। अब तक नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाइलेंड और सिंगापुर की यात्राएं कीं। ‘हिलांस’ पत्रिका के माध्यम से देश-विदेश के उत्तराखण्डी बुद्धिजीवियों को जोड़ने का सफल प्रयास किया।प्रवासियों के मध्य मातृभूमि के प्रति निष्ठा की भावना जागृत करने में महत्वपूर्ण कार्य किया। ‘हिलांस’ का प्रकाशन लगातार 19 साल तक।

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नवीन चन्द्र जोशी

लेख-कहानियां। एक कहानी संग्रह ‘अपने मोर्चे पर’। सक्रिय पत्रकारिता में रोजी-रोटी।अपने समय, समाज व स्थितियों को समझना बेहद जरूरी। उत्तराखंड की समस्याओं व समस्याओं के गहन अध्ययन-मनन से ही बेहतरी की राह मिलेगी। उत्तराखंड के इतिहास व वर्तमान में संघर्ष की अद्भुत चेतना मौजूद है। उम्मीद है वह विकसित होगी।

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