सुधांशु धूलिया

मानवाधिकार तथा पर्यावरण संरक्षण संस्थाओं से जुड़ना, उत्तराखण्ड आन्दोलन के दमन के समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रस्तुत विभिन्न याचिकाओं की तैयारी में योगदान देना। अनेक जनहित याचिकाओं की पैरवी करना। इस समय आप उत्तरांचल के अपर महा अधिवक्ता हैं।

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विशेश्वरी देवी

सर्वोदयी कार्यकर्ताओं के साथ चिपको आंदोलन में हिस्सेदारी। 1988 में गरुड़गंगा (पाखी) गांव की अध्यक्षा चुनी गयी। इससे पूर्व मैंने गाँव में जातिभेद के खिलाफ अभियान चलाया था। अध्यक्षा चुने जाने के बाद गाँव में हैस्को, हार्क व सर्वोदयी संस्थाओं की मदद से पर्यावरण संरक्षण, रिंगाल उद्योग व फल-संरक्षण, वनस्पतियों से धूप-अगरबत्ती निर्माण, नयी प्रजाति की सब्जियों का उत्पादन आदि कार्यक्रमों के जरिए गांव की तस्वीर बदलने का प्रयास किया।

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एच.एस. कप्रवान

यू.एन.डी.पी. में सलाहकार रहे। रक्षा अनुसंधान में अतिरिक्त निदेशक।युवाओं के नाम संदेशः उच्च शिक्षा ग्रहण करें। तथा अपने राज्य व देश का नाम रोशन करें।

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महेन्द्र कुँवर

दशौली ग्राम स्वराज्य मण्डल के कार्यक्रमों में शामिल । सी.एस.ई. में 1984-87। हार्क की स्थापना 1989 ।बूँद का प्रकाशन, संसाधन प्रबन्धन/आर्थिक क्रिया-कलाप। ग्रामीण बाजार सम्बन्धों पर कृषि कार्य, ग्रामीण स्तर पर संगठनों का निर्माण, नौगाँव में प्रसार शिक्षण केन्द्र की स्थापना। क्षमता विकास तथा महिलाओं/पंचायतों को लेकर कार्य।

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भूपेन्द्र कुमार जोशी

हिमालय तथा पर्वतों सम्बन्धी कुछेक अध्ययन। कुछ किताबें संपादित तथा शोधपत्र प्रकाशित। गिरि विकास संस्थान के निदेशक तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। अनेक विशेषज्ञ समितियों के सदस्य।

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निर्मल कुमार जोशी

उत्तरांचल के प्रथम मुख्य वन संरक्षक। उत्तरांचल के आई.एफ.एस. संवर्ग के प्रथम अधिकारी, जो सबसे ऊँची पोस्ट डायेरक्टर जनरल ऑफ फॉरेस्ट तथा विशेष सचिव भारत सरकार तक पहुँचे हैं।युवाओं के नाम संदेशः भारतीय होने और उत्तराखण्डी होने पर गर्व करें। क्योंकि युवाओं के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। इस हेतु याद रखें कि 1. ईश्वर उन्हीं की मदद करता है जो अपनी खुद मदद करते हैं। 2. आत्म विश्वास और मेहनत ही प्रतियोगिता परीक्षाओं में काम आते हैं। 3. सिर्फ़ सरकारी सेवा का सपना न देखें निजी क्षेत्र में और व्यक्तिगत रूप से भी काम किये जा सकते हैं। याद रखें कि एक पान वाला भी सम्मान के साथ बड़े अधिकारियों से अधिक अर्जित कर सकता है।

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रवि चोपड़ा

एप्रोप्रियेट टैक्नोलॉजी वर्कशॉप के डायरेक्टर। सेन्टर फॉर साइन्स एण्ड इन्वायरनमेंट (CSE) के रिसर्च फ़ैलो तथा निदेशक, श्रुति के परामर्शदाता। 1988 से पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट (PSI), देहरादून के निदेशक। हिमालय फाउण्डेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी तथा अनेक सरकारी-गैर सरकारी समितियों के सदस्य हैं या रहे थे। हिमालय के संसाधनों-विशेष रूप से पानी- पर विस्तृत अध्ययन। अनेक लेखों, किताबों के लेखक, संपादक। CSE की पहली रिपोर्ट के सह संपादक।

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