नारायण सिंह (धामी) थापा

अनेक चर्चित न्यूज रीलों व डाक्यूमेंटरी फिल्मों का निर्माण; डिबू्रगढ़ बाढ़ पर बनाई गई फिल्म और ‘मित्रता की यात्रा’ अत्यंत चर्चित और प्रसंशित हुईं; ‘कांगड़ा और कुल्लू’ तथा ‘बर्फ का गीत’ फिल्मों को राष्ट्रपति स्वर्णपदक प्राप्त हुआ; फिल्म ‘एवरेस्ट’ को सर्वोत्तम फिल्म का पुरस्कार मिला। 1980 में लोक सेवा आयोग ने फिल्म प्रभाग के चीफ प्रोड्यूसर पद के लिए चयनित किया। प्रभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती नवें एशियाई खेलों पर फिल्म बनाने की थी। मुझे सेवा विस्तार देकर यह काम सौंपा गया। इस काम की उल्लेखनीय सफलता के लिए मुझे पद्मश्री सम्मान दिया गया। सेवानिवृत्ति के बाद तत्कालीन प्रधनमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम तथा जवाहरलाल नेहरू पर फिल्मों की श्रृंखला बनाने का अवसर मिला। सेवानिवृत्ति के बाद मैंने भारतीय खेल प्राधिकरण के सलाहकार के रूप में भी काम किया। 1983 में भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन ने पर्वतारोहण के लिए की गई मेरी सेवाओं को देखते हुए फाउंडेशन का सदस्य चुना। आत्मकथा ‘बाँय फ्रॉम लम्बाटा’ ‘पहाड़’ द्वारा प्रकाशित।

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जगदीश चन्द्र ढौंडियाल

38 वर्ष का सेवाकाल पूरा किया। विशेष प्रशिक्षण के लिए इग्लैंड का दौरा किया। 32 आलेख व एक पुस्तक ‘माउंटेनियरिंग- एक प्रैक्टिकल गाइड’ प्रकाशित। अनेक भारतीय व विदेशी पर्वतारोहण अभियानों में हिस्सेदारी की। जम्मू-कश्मीर, उ.प्र. व हिमाचल में भारतीय सेना के अनेक पर्वतारोहण अभियानों का नेतृत्व किया। अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से नवाजे गये।

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किरन भट्ट टोडरिया

उ.प्र. की ओर से एशियाड 1982 में कथक नृत्य प्रस्तुत किया; एन.सी.सी. बेस्ट कैडेट के रूप में 1983 में गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सेदारी तथा उ.प्र. राज्यपाल व राष्ट्रपति द्वारा बेस्ट कैडेट के लिए पुरस्कृत; स्नो स्कीइंग में।1987 की राष्ट्रीय चैंपियन तथा राष्ट्रीय चैंपियन बनने वाली पहली स्थानीय महिला। 1985 से गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में पर्वतारोहण व पथारोहण में सक्रिय। अनेक शिखरों में आरोहण। स्वतंत्र रूप से ट्रेवल बिजनेस शुरू करने वाली उत्तराखण्ड की पहली महिला; साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में पिछले 14 वर्षों से संलग्न; उत्तरांचल व्यापार प्रतिनिधिमंडल (महिला प्रकोष्ठ) की अध्यक्षा।उत्तराखण्ड गौरव सम्मान, उत्तरांचल का विशिष्ट विभूति सम्मान, साहसिक पर्यटन हेतु विशेष सम्मान, महिला सशक्तीकरण वर्ष सम्मान, उत्तराखण्ड उद्योग व व्यापार मंडल सम्मान।

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चन्द्र प्रभा एतवाल

1966-86 तक अध्यापन किया।1986 से ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (एडवेंचर) उत्तरकाशी रहीं। नेहरू इंस्टीट्यूट ऑव माउण्टेनियरिंग (एन.आई.एम.), उत्तरकाशी में 1972 में बेसिक और 1975 में एडवांस माउन्टेयरिंग कोर्स पूरा किया। 1980 में स्कीइंग का इण्टरमीडिएट कोर्स किया। 1978-83 तक नेहरू इंस्टीट्यूट ऑव माउण्टेनियरिंग, उत्तरकाशी में प्रशिक्षक रहीं। इस अवधि में बेबी शिवलिंग, बंदरपूंछ, केदारडोम, कामेट, ब्लैकपीक और 20900, नंदा देवी अभियानों में प्रशिक्षक, सदस्य, डिप्टी लीडर और लीडर की हैसियत से शामिल हुईं। इण्डियन माउण्टेनियरिंग फाउण्डेशन द्वारा प्रायोजित 1984 के एवरेस्ट अभियान की सदस्य रहीं और 27,750 फीट तक पहुँचीं। 1993 में इण्डो-नेपाली महिला साझा अभियान में एवरेस्ट पर 24,000 फीट तक पहुँची। रिवर राफटिंग और 28 दुर्गम पथों पर ट्रेकिंग की। इन उपलब्धियों के लिए भारत सरकार द्वारा ‘पद्मश्री’, अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया।

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एस. पी. चमोली

सेना में कमीशन और डीआईजी पुलिस पद से सेवानिवृत्त। पर्वतारोहण व साहसिक खेलों में ख्याति प्राप्त की। अभी तक 10 पर्वतारोहण, 1 स्कीइंग व 2 राफ्रिटंग अभियानों में हिस्सेदारी की है। सदस्य, इंडियन माउंटेनियरिंग फाउण्डेशन की गवर्निंग काउंसिल; चेयरमैन, स्पोर्टस क्लाइम्बिंग कम्पटीशन्स; सदस्य, उत्तरांचल पर्यटन सलाहकार समिति; राष्ट्रपति पुलिस पदक व रक्षा पदक से सम्मानित; ‘द ग्रेट हिमालयन ट्रैवर्स’ व ‘राफ्टिंग डाउन द मिस्टिक ब्रह्मपुत्र’ पुस्तकों का लेखन। हिमालय के पूर्व से पश्चिम तक 5000 किमी. से अधिक पदअभियानों का कीर्तिमान।ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रथम बार राफ्टिंग करके अभी तक का कीर्तिमान अटूट है।

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