उनीता सच्चिदानन्दन

1983 में सी.डी.आर.आई. में वैज्ञानिक बी. की नौकरी। मारुति उद्योग में द्विभाषी के तौर पर 1983-86 तक कार्य। 1986 से अब तक दिल्ली विश्वविद्यालय में जापानी भाषा एवं साहित्य में प्राध्यापिका। 1990-92तक जापान सरकार से छात्रवृत्ति पर शोध अध्ययन। 1999 में जापान फाउण्डेशन फैलोशिप के अन्तर्गत महिला साहित्य पर शोध। दो दर्जन शोध लेख विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित। 15 पुस्तकों का जापानी से हिन्दी में अनुवाद।

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मदन चन्द्र भट्ट

1966 में टकाना रोड पिथौरागढ़ में सुमेरु संग्रहालय की स्थापना. उत्तराखण्ड के इतिहास पर नैनीताल, पौड़ी, कोटद्वार, श्रीनगर, गोपेश्वर और बदरीनाथ में ऐतिहासिक प्रदर्शनियों का आयोजन। ‘हिमालय का इतिहास’ 1 और 2 का प्रकाशन, ‘कुमाऊँ की जागर कथायें’। 4. जाख गाँव में अपना पैतृक भवन सरस्वती शिशु मंदिर की स्थापना के लिए दान।

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शेर सिंह बिष्ट

16 पुस्तकें, अनेक शोधलेख, कविताएँ, कहानियाँ प्रकाशित. कुछेक शोध योजनाएँ पूरी कीं, 10 पीएच.डी. शोध कार्य निर्देशित.

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चारु चन्द्र पाण्डे

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की 1947 की परीक्षा में डबल फर्स्ट सहित सर्वप्रथम स्थान. अध्यापन का राष्ट्रपति पुरस्कार. उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा विशिष्ट पुरस्कार से सम्मानित. उमेश डोभाल स्मृति सम्मान. कुमाउँनी, हिन्दी, अंग्रेजी में लेखन कार्य. ‘अघ्वाल’, ‘सेज गुमानी’, ‘ईकोज फ्राम द हिल्स’, ‘छोड़ो गुलामी खिताब’ पुस्तकें प्रकाशित. 1962 से आकाशवाणी लखनऊ हेतु लेखन एवं प्रसारण. अल्मोड़ा में दीर्घकाल तक साहित्यिक, सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय रहे।

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प्रेमानन्द चन्दोला

तीन वर्ष अध्यापन के बाद 1960 में, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के वैज्ञानिक तथा केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय तथा वैज्ञानिक शब्दावली निर्माण के अलावा तकनीकी शब्दावली आयोग की सेवा में चयन। सेवाकाल के दौरान ‘विज्ञान गरिमा सिंधु’ त्रैमासिक का संपादन। देश की शीर्ष पत्रिकाओं में 1500 से अधिक लेख, नाटक, कविता, संस्मरण, कथा आदि प्रकाशित। 76 ग्रंथों/पुस्तकों का लेखन, संपादन, सह लेखन, अनुवाद।1984-85 में ‘पर्यावरण और जीव’ पुस्तक पर हिन्दी अकादमी, दिल्ली ने ‘साहित्यिक कृति पुरस्कार’ दिया।पर्यावरण, वन तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों द्वारा श्रेष्ठ साहित्य सृजन के लिए पुरस्कृत। 1995 में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का ‘आत्माराम पुरस्कार’ राष्ट्रपति के हाथों प्राप्त किया।

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