जोगेन्द्र सिंह कण्डारी

कला, साहित्य, पुरातत्व, भाषा संस्कृति सम्बन्धी 150 से अधिक लेखों का प्रकाशन। कविता संग्रह- 1. मुट्ठियों में बंद आकार (1972), 2. हथेलियों पर अस्तित्व (1993), ‘शब्द भारती’ तथा भारतीय भाषाओं के कवियों का सम्पादन।निबन्ध संग्रह- हिन्दी के गतिमान क्षितिज (1997), राजभाषा हिन्दी विश्व संदर्भ में (2002)। पत्रकारिता- हिन्दी पत्रकारिता की दिशाएँ (2000)। ‘हिन्दी के गतिमान क्षितिज’ को हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा वर्ष 1997-98 का साहित्यिक कृति पुरस्कार।

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प्रयाग जोशी

कुमाउँनी लोक गाथा के तीन संकलनों का, लोक गाथाओं पर शोध से सम्बंधित निबंधें (दो जिल्दों में) का, कुमाऊं की वनराजि जाति पर शोध सर्वेक्षण यात्राओं से संम्बधित एक रोचक पुस्तक का तथा सीरा के मल्ल व चंद राजाओं के समय की बहियों का प्रकाशन।

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अच्युतानन्द घिल्डियाल

पाकिस्तान बनने और गांधी जी के कहने पर स्वतंत्रता संग्राम में कार्य करने का जब कुछ लाभ नहीं दिखा तो राजनीति छोड़ कर 1952 में बी.ए., एम.ए. और पीएच.डी. की। 1970 से अध्यापन और लेखन कार्य में संलग्न। एकला चलो रे के आधार पर संकट झेलकर लेखन कार्य किया और प्राचीन भारतीय साहित्य को प्रकाश में लाने वाले ग्रन्थ लिखे। अब तक 3 दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना।

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गोविन्द चातक

आकाशवाणी दिल्ली में 4 वर्षों तक सहायक प्रोड्यूसर, नाटक; इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज में प्राध्यापक।लोक साहित्य, भाषा विज्ञान, संस्कृति और नाट्य समीक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया।5 नाटक प्रकाशित- केकड़े, दूर का आकाश, अंधेरी रात का सफर, बाँसुरी बजती रही। नाट्य समीक्षा ग्रन्थ ‘प्रसाद के नाटक स्वरूप और संरचना’, ‘आधुनिक हिन्दी नाटक का मसीहा मोहन राकेश’ विशेष रूप से चर्चित। ‘गढ़वाली लोक गीत’ (साहित्य अकादमी), ‘गढ़वाली लोक गाथायें’ आदि भी उल्लेखनीय हैं। भाषा के क्षेत्र में ‘मध्य पहाड़ी परम्परा और हिन्दी, पहाड़ी भाषा के अध्ययन रूप में मानक ग्रन्थ। पर्यावरण और संस्कृति के संकट पर भी विशेष लेखन। अब तक लगभग 20 पुस्तकों का लेखन। ‘जय श्री सम्मान’। ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’, ‘रामनरेश त्रिपाठी पुरस्कार’, साहित्य कला परिषद दिल्ली प्रशासन का नाटकों का सर्वोच्च पुरस्कार, ‘पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार’ जैसे पुरस्कार पुस्तकों पर दिए गए हैं।

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