देवी दत्त पन्त

आगरा कालेज, आगरा में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता पद से शिक्षण कार्य प्रारम्भ। बी.आर. कालेज आगरा में प्रोफेसर। डी.एस.बी. कालेज नैनीताल में प्रोफेसर/प्रधानाचार्य। शिक्षा निदेशक उ.प्र। डीन, कॉलेज आफ बेसिक साइंसेज, पंतनगर कृषि वि.वि.। संस्थापक कुलपति कुमाऊँ वि.वि.। 1998 तक एमेरिटस प्रोफेसर, कुमाऊँ वि.वि.। 1969 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से शैक्षणिक अनुभवों हेतु अमेरिका यात्रा, 1982 तथा 1984 में राकविले में फोगेटी विजिटिंग फेलो। वि.अ.आ. के अतिरिक्त उ.प्र. सरकार, भारत सरकार, एन.सी.ई.आर.टी. आदि के लिए विज्ञान शिक्षा हेतु अनेक अभिनव प्रयोग व सहयोग। डी.एस.बी. कॉलेज में प्रकाश भौतिकी प्रयोगशाला की स्थापना; यूरेनाइल साल्ट्स पर अपने शोधछात्र डी.पी. खण्डेलवाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित शोधकार्य किया। सम्पूर्ण शैक्षिक जीवन में 21 छात्रों का शोध निर्देशन किया; इनमें से अधिकांशतर छात्र कालांतर में दुनिया की महत्वपूर्ण प्रयोगशालाओं में उच्च पदों पर आसीन हुए। अंतर्राष्ट्रीय शोधपत्रिकाओं में 200 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित। फुलब्राइट फैलोशिप (अमेरिका)। आगरा वि.वि. का विशेष शोधपुरस्कार। रमन सेन्टेनरी इंटरनेशनल गोल्ड मेडल। आसुंदी सेन्टेनरी इंटरनेशनल अवार्ड। सिग्मा साई (अमेरिका) तथा भारतीय विज्ञान अकादमी के फेलो।

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हेम चन्द्र काण्डपाल

राचेस्टर यूनीवर्सिटी, न्यूयार्क (अमेरिका) के विश्वविख्यात वैज्ञानिक प्रो. एमिल वुल्फ द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत जो ‘वुल्फ प्रभाव’ (प्रकाश संचरण में व्युत्पन्न सम्बद्धता के कारण वर्णक्रम विस्थापन जो डाप्लर प्रभाव व गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से उत्पन्न वर्णक्रम विस्थापन से पूर्णतया भिन्न है) के नाम से विख्यात है, का प्रायोगिक सत्यापन किया तथा इनके उपयोगों का पता लगाया। उदाहरण के लिए सितारों के एंग्यूलर डायामीटर्स निकालने की नयी विधि तथा हाल ही में वुल्फ प्रभाव का क्वाजार-गैलैक्सी युग्म द्वारा प्रदर्शित अभिरक्त विस्थापन विवाद को सुलझाने के लिए विश्व में किया गया प्रथम प्रयोग आदि। इसके अतिरिक्त विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 70 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित। 1990 में सी.एस.आई.आर. द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्रदान किया गया।

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अजीत चन्द कुँवर

न्यूक्लियर मेग्नेटिक रिजोनेंस (एन.एम.आर.) के जरिए आणविक बनावट तथा गतिशीलता पर विस्तृत कार्य किया, जिसमें द्रव क्रिस्टलों के उपयोग पर आधरित कार्य का विशेष महत्व है। अंतर्राष्ट्रीय शोध्- पत्रिकाओं में अब तक 140 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित। बासेल विश्वविद्यालय, स्विटजरलेंड में पोस्ट डॉक्टोरल फ़ैलो तथा इलेनॉय विश्वविद्यालय, अमेरिका में विजिटिंग साइंटिस्ट। वैज्ञानिक उपलब्धियों पर अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के फ़ैलो।

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आर.के. कोटनाला

उच्च स्तर की पांच पुस्तकों का लेखन।पचास से अधिक मौलिक शोधपत्र। चुम्बकत्व में राष्ट्रीय स्तर पर कंसल्टेंट । जापान और जर्मनी के साथ कई परियोजनाएं कीं।

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श्रीकृष्ण जोशी

हाईस्कूल से एम.एससी. तक सभी कक्षाओं में प्रथम श्रेणी; एम.एससी. में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान मिलने पर विद्यांत स्वर्ण पदक; इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवक्ता, 1957-65; विजिटिंग लेक्चरर, केलीफोर्निया विश्वविद्यालय, अमेरिका, 1965-67; प्रोफेसर, रुड़की विश्वविद्यालय, 1967-86; निदेशक, राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, नई दिल्ली, 1986-91 महानिदेशक, सी.एस.आई.आर., नई दिल्ली, तथा सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, 1991-95 विक्रम साराभाई प्रोफेसर, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च, बंगलौर, 1995-97; चेयरमैन, रिक्रूटमेंट एण्ड एसेसमेंट सेंटर, डी.आर.डी.ओ., दिल्ली; इमेरिटस साइंटिस्ट, राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, नई दिल्ली, 2000; फ़ैलो, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (इन्सा), 1974 होनरेरी; सेक्रेटरी, इन्सा (1983-86), विदेश सचिव, इन्सा (1989-92), अध्यक्ष, इन्सा (1993-95); फ़ैलो, भारतीय विज्ञान अकादमी (1974), फौरेन मेम्बर रूसी विज्ञान अकादमी (1974); उपाध्यक्ष, भारतीय विज्ञान अकादमी (1989-91); अध्यक्ष विज्ञान कांग्रेस (1996-97)। अध्यक्ष, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (2001-02)। वातुमल मेमोरियल प्राइज, 1965; शांतिस्वरूप भटनागर अवार्ड, 1972; सी.एस.आई.आर. सिल्वर जुबली अवार्ड, 1973; मेघनाद साहा अवार्ड, 1974; फिक्की अवार्ड, 1990; डा. महेन्द्रनाथ सरकार प्राइज, 1989; गोयल प्राइज, 1993; सीवी रमन मेडल, 1999 (पद्मश्री, 1991) डी.एस.सी. (मानद, कुमाऊँ वि.वि.-1994, कानपुर वि.वि.-1995 व बनारस हिन्दू वि.वि.-1996); पद्म भूषण (2003)। अब तक 20 विद्यार्थियों का शोध निर्देशन किया और 180 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित किए।

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