नन्द किशोर हटवाल

प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, कविताएं, लेख, फीचर, लघु- कथाएं, नाटक, बाल कथाएं, व्यंग्य व गढ़वाल की कई अनछुई लोक परम्पराओं पर लेखन और प्रकाशन, गढ़वाल के चांचरी नृत्यगीतों पर शोधकार्य तथा लोकगीतों, कथाओं, मांगल, जागर, रांसे, बगड्वाली, ढोल के ताल, रम्वाण, महाभारत आदि आडियो संग्रह, गढ़वाल की लोक संस्कृति पर 100 से अधिक रेखांकनों की रचना व प्रकाशन; लोक संस्कृति से सम्बद्ध तीन वीडियो फिल्मों का निर्माण, अनेक छोटे-बड़े पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित।

Read More

राजा राय सिंह

जिला कलेक्टर के रूप में मथुरा में नियुक्ति। 1957 में तत्कालीन गृहमंत्री गोविन्द बल्लभ पंत के विशेष सहायक, तत्पश्चात केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय में नियुक्ति। इस दौरान शिक्षा सम्बन्धी उच्च अध्ययन हेतु सोवियत यूनियन, जर्मनी, यू.एस.ए. और जापान की यात्रा की। एक वृहद् संगठन एन.सी.ई.आर.टी. (नेशनल काउन्सिल ऑव एज्यूकेशनल रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग) का गठन करवाया। 1964 में उनकी सेवाएँ ‘यूनेस्को’ द्वारा आमंत्रित की गईं। बैंकाक (थाईलैण्ड) स्थित मुख्यालय में उन्हें एशिया महाद्वीप और प्रशान्त क्षेत्र के एक बहुत बड़े भाग में यूनेस्को के शिक्षा सम्बन्धी कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई। यूनेस्को में शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम- ए.पी.आई.डी. (एशिया पैसिफिक प्रोग्राम ऑव एज्युकेशनल इनोवेशन फार डेवलपमेंट) लागू करवाया। ‘एज्युकेशन इन एशिया एण्ड पैसेफिकः ट्रेण्ड्स एण्ड डेवलपमेंट’, ‘एज्युकेशनल प्लानिंग इन एशिया’ तथा ‘एज्यूकेशन फार द फ्रयूचर’ (अंग्रेजी भाषा) उनकी चर्चित पुस्तकें हैं। शिक्षा क्षेत्र में सराहनीय सेवाओं के लिए कई एशियाई राष्ट्रों ने उन्हें सम्मानित किया तथा थाईलैण्ड विश्वविद्यालय ने मानद ‘डाक्टरेट’ की उपाधि दी।

Read More

मालती सिंह

स्थानीय संगठन खड़े किए जो अपने क्षेत्र के विकास के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं. गाँव-गाँव में बच्चों (खास कर बालिकाओं) को औपचारिक शिक्षा से जोड़ा तथा लोगों को शिक्षा के मौलिक अधिकार के लिए सक्रिय रूप से आगे आने के लिए प्रेरित किया, महिलाओं को संगठित कर अपने अधिकारों/हक हकूकों के लिए जागरूक किया। उत्तराखण्ड स्तर पर एक नेटवर्क स्थापित किया- सरोकार, जो लोगों की जमीनी लड़ाई को राज्य स्तर, राष्ट्र स्तर तक ले जाता है।

Read More

केशवदत्त रुवाली

‘कुमाउँनी हिंदी व्युत्पत्ति कोश’ तथा ‘मानक कुमाउँनी शब्द सम्पदा’ का अपने निजी प्रयास से प्रणयन एवं प्रकाशन. 50 से अधिक ग्रंथों व शोधपत्रों का लेखन। कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष तथा अल्मोड़ा परिसर निदेशक के पद पर कार्य किया।

Read More

बीना शाह

रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के बाद शिक्षाशास्त्र विभाग को मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन एजुकेशन (आइ.ए.एस.ई.) के रूप में उच्चीकृत किया और इसके निदेशक के पद पर कार्य किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा आइ.ए.एस.ई. को समग्र संस्थान की मान्यता दिलवाई। रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय की उपकुलपति तथा कुलपति पद पर रही। संप्रति इन्दिरा गांधी मुक्त विवि में कार्यरत। अनेक अकादमिक एवं प्रशासनिक समितियों की सदस्य। 9 पुस्तकों तथा 100 से अधिक शोधपत्रों का प्रकाशन। अनेक देशों की यात्रा। अनेक सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित।

Read More

त्रिलोचन शर्मा

जीवन में एक सफल शिक्षक के रूप में स्थापित हुआ। मौन पालन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त की और मौन पालक कल्याण समिति का गठन कर उसका अध्यक्ष। ज्योतिष के क्षेत्र में अनुसंधान, अनेक लेख ज्योतिष पत्रिका ‘आग्रहायण’ में प्रकाशित। लेखन में विशेष रुचि।

Read More

गोविन्द सिंह रजवार

जिला मजिस्ट्रेट, उत्तरकाशी द्वारा विशिष्ट शिक्षण सेवा हेतु प्रशस्ति पत्र। अंतर्राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान कांग्रेस, बर्लिन (जर्मनी) द्वारा प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार। सदस्य, केन्द्रीय समिति, अंतर्राष्ट्रीय हेड वाटर परिषद (यूरोप)। मेरानो (इटली) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन के एक सत्र की अध्यक्षता तथा शोधपत्रों का संपादन। पर्यावरण जागरूकता एवं पारिस्थितिकी शोध के लिए ‘एक्शन फॉर सस्टेनेबल एफीकेसियस’ तथा ‘पर्यावरण जागरूकता समिति’ द्वारा अतिविशिष्टता पुरस्कार। हिमालयी जैव-विविधता के विशेषज्ञ के रूप में भारत सरकार द्वारा बनायी सूची में सम्मिलित. अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका ‘जर्नल आफ ट्रौपिकल फॉरेस्ट साइंस रिसर्च’ के सलाहकार संपादक.

Read More