जे.सी. पाठक

राष्ट्रीय बाल भवन, नई दिल्ली में सहायक निदेशक की हैसियत से बच्चों की शिक्षा पर कार्य किया. तैंतीस वर्षों तक केन्द्रीय विद्यालयों में स्नातकोत्तर आधार शिक्षक और प्रधानाचार्य की हैसियत से भारत के अनेक क्षेत्रों में कार्य किया. विज्ञान और शिक्षाशास्त्र पर अनेक पुस्तकों तथा शोधपत्रों का लेखन. कुमाऊँनी व हिन्दी में गीतों की रचना. आकाशवाणी व दूरदर्शन से शिक्षा सम्बंधी वार्ताएं प्रसारित. बी.बी.सी. के लिए शैक्षिक सामग्री का संकलन. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों, गोष्ठियों व कार्यशालाओं के लिए कार्य किया। दक्षिण दिल्ली के एक सम्मानित विद्यालय में प्रधानाचार्य एवं शैक्षिक सलाहकार के रूप में कार्यरत. साथ ही राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से एकेडेमिक फैसिलीटेटर के बतौर सम्बद्ध। मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार द्वारा युनाइटेड चिल्ड्रन मोमेन्ट के अन्तर्गत राष्ट्रीय एकता एवं शिक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 2002 अवार्ड से सम्मानित।

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कैलाश चन्द्र जोशी

सीधे चयन द्वारा प्रोफेसर निदेशक, अल्मोड़ा परिसर (कुमाऊँ विश्वविद्यालय); उप-कुलपति व कुलपति, कुमाऊँ विश्वविद्यालय; लॉ डीन्स कान्स्टीटुएन्सी द्वारा तीन बार इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली की गवर्निंग काउंसिल के लिए निर्वाचित।

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राकेश चन्द्र नौटियाल

अपनी अपंगता से निराश न होकर विषम परिस्थितियों से जूझते हुए भाई-बहिनों की शिक्षा-दीक्षा व जीवन में व्यवस्थित होने में सहायक रहना। स्वयं का जीवन व्यवस्थित करना। 30 वर्ष के अध्यापन अनुभव के अलावा दो कविता एवं एक कहानी संग्रह का प्रकाशन तथा दो पुस्तकें संपादित कीं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में दर्जनों निबंध एवं शोध पत्र प्रकाशित। ‘नैतिकी’ मासिक पत्रिका तथा उत्तराखण्ड शोध संस्थान की ‘शिक्षा शोध पत्रिका’ का सह संपादन। सीमान्त खबर (साप्ताहिक) का साहित्यिक संपादक। सदस्य, सलाहकार समिति, इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नालॉजी एण्ड मैनेजमेंट, चकराता रोड, देहरादून।

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कांति प्रसाद नौटियाल

प्रोफेसर पद के बाद डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय तथा हे.न. बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्त। यू.जी.सी. इमेरिटस प्रोफेसर। वर्तमान में शिमला के भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में फैलो। उत्तराखण्ड के इतिहास को पुरातत्व की परिधि में परीक्षण करने का सर्वप्रथम प्रयास। पुरातात्विक उत्खननों द्वारा उत्तराखण्ड की सभ्यता व संस्कृति पर नया प्रकाश। पुरातत्व तथा इतिहास पर किताबें और शोध पत्र प्रकाशित।

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भुवन चन्द्र नैनवाल

नंदाखाट, बैलजुरी, पताल्सू, देबिस्थान, नन्दा घुण्टी आदि अनेक शिखरों का आरोहण। रामजस संस्थान में पिछले 20 वर्षों से साहसिक अभियानों, पथारोहण, शिलारोहण आदि का प्रशिक्षण दिया। रामजस फाउंडेशन की 30 एकड़ भूमि को आरोहण गतिविधियों से युक्त स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित किया, जिसमें क्रिकेट, टेनिस, एथलेटिक ट्रैक, वॉलीबाल, बैडमिन्टन, हैण्डबाल, फुटबाल, हॉकी, बास्केटबाल खेलने की सुविधायें हैं। ट्रेनिंग हेतु चट्टानें, एडवेन्चर ऑब्स्टैकिल, 50 फुट ऊँची क्लाइम्बिंग वाल बनवाये हैं। साथ ही लगभग 2000 वृक्ष भी हरियाली के लिए लगवाये हैं। भारतीय पर्वतारोहण संस्थान द्वारा आयोजित नेशनल स्पोर्ट क्लाइम्बिंग प्रतियोगिता में ‘जज’। उत्तर भारतीय स्पोर्ट क्लाइम्बिंग प्रतियोगिता का 7 वर्षों से आयोजन कर रहे हैं।

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मोती सिंह नेगी

1952 में झांसी जेल में देश के बड़े नेताओं और संग्रामियों के साथ 6 माह रहने का अवसर मिला। बाद में गाँव वापस लौटने पर सामाजिक कार्यों में संलग्न हो गया। अपने क्षेत्र में प्राइमरी पाठशाला, जूनियर हाईस्कूल, बिनसर महादेव मंदिर और सड़कें बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज भी रामनगर में एक धर्मशाला के निर्माण में सक्रिय।

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कुंवर सिंह नेगी

देश की विभिन्न भाषाओं में अनेक पाठ्य पुस्तकों, धार्मिक व साहित्यिक पुस्तकों को ब्रेल लिपि में रूपांतरण व दृष्टिहीनों में निःशुल्क वितरण। दृष्टिहीनों के लिए किए गए कार्य पर विश्व उन्ननय संसद, कलकत्ता द्वारा विकलांग कल्याण में डाक्टरेट की मानद उपाधि। 1981 में पद्मश्री। 1990 में पद्म भूषण से अलंकृत।

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