गोविन्द बल्लभ सुन्दरियाल

शैक्षिक जीवन में सभी कक्षाओं में सर्वोच्च अंक, स्कूल, कालेज व विश्वविद्यालय सभी स्तरों पर मैरिट छात्रवृत्ति प्राप्त की। सेक्रेटरी (इंटरनेशनल अफेयर्स), फैडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री (फिक्की), 1981-90। सेक्रेटरी, ऑल इंडिया शिपर्स काउंसिल, 1978-90, सेक्रेटरी जनरल, एसोसिएशन ऑफ शिपर्स काउंसिल ऑफ बांग्लादेश, इंडिया, पाकिस्तान एण्ड श्रीलंका, 1985-87। सदस्य, संपादक मंडल तथा संयुक्त संपादक, इकानोमिक ट्रेंड्स. संस्थापक संपादक, शिपर्स डाइजेस्ट। वरिष्ठ अर्थशास्त्री/सलाहकार, बिड़ला इकोनोमिक रिसर्च फाउंडेशन (1990-97)।

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गोविन्द सिंह

पाँच-छः वर्ष की उम्र में इलाके के एक मात्र पढ़े लिखे व्यक्ति श्री प्रयाग जोशी को झोड़े-जागर लिखते देखा तो मुझे लिखने की प्रेरणा मिली।आठ वर्ष की उम्र में पिता की मृत्यु और भयंकर गरीबी। दसवीं के बाद भाई के साथ चंडीगढ़ आगमन और पढ़ाई जारी। प्रो. महेन्द्र प्रताप से मुलाकात जिन्होंने जबर्दस्ती हिन्दी विषय लेने को प्रेरित किया और दिशाएं खुलती चली गयीं।

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लीलाधर शर्मा ‘पर्वतीय’

स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री के सहकर्मी।चार वर्ष से अधिक की दो जेल यात्राएं कीं। 1945 में जेल से छूटने के बाद पत्रकारिता में प्रवेश, दो पत्रों का संपादन, 300 से अधिक लेखों की रचना। अनेक पुरस्कृत पुस्तकों का लेखन व संपादन। हिन्दी समिति के वर्षों तक सचिव। प्रदेश व केन्द्र सरकार की पाठ्य पुस्तकों का लेखन व संपादन। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व उ.प्र. सरकार द्वारा विभिन्न सेवाओं के लिए सम्मानित। 1979 में उ.प्र. के सूचना विभाग में उपनिदेशक के पद से सेवा निवृत्त। अब भी लेखन व सामाजिक कार्यों में सलग्न।

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गंगा प्रसाद विमल

तीन दर्जन के करीब पुस्तकें छपीं। देश में रहकर अनेक विदेशी कृतियों का अनुवाद किया। अनेक देशों में वहां के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए। देश-विदेश के अनेक साहित्य सम्मेलनों में हिस्सेदारी। देश-विदेश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक मंडल के सदस्य। बल्गारिया का यावरोव सम्मान, इटली के कला विश्वविद्यालय का सम्मान, पोयट्री पीपुल सम्मान तथा केरल का कुमारन आशान सम्मान से अलंकृत।

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पंकज बिष्ट

विभिन्न प्रसारण सेवाओं में नौकरी करने के बाद ‘आजकल’ मासिक पत्रिका में सम्पादक। तीन कहानी संग्रह ‘पन्द्रह जमा पच्चीस’ व ‘बच्चे गवाह नहीं हो सकते’ और ‘टुन्ड्रा प्रदेश’। दो उपन्यास ‘लेकिन दरवाजा’ व ‘उस चिड़िया का नाम’ व कुछ बाल रचनाएं प्रकाशित व बहुप्रशंसित। संचार माध्यमों व पत्रकारिता पर अनेक लेख प्रकाशित। बाल उपन्यास ‘गोलू और भोलू’ भारतीय और विदेशी भाषाओं में, कई रचनाओं का अनुवाद। ‘समयांतर’ पत्रिका का सम्पादन।

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शिवचरण पाण्डे

उत्तरांचल की अग्रणी सांस्कृतिक संस्था ‘हुक्का क्लब’ से विद्यार्थी जीवन से ही जुड़ाव। पिछले 25 वर्ष से भी अधिक समय से हुक्का क्लब में अवैतनिक सचिव के बतौर सेवा। लगभग 40 वर्षों से कुमाउँनी रामलीला के मंचन, संरक्षण व प्रचार-प्रसार में कार्यरत। कुमाऊँ की प्रख्यात बैठकी होली के संरक्षण, प्रचार-प्रसार व गायन के क्षेत्र में साधनारत। पिछले 24 वर्षों से संस्था द्वारा प्रकाशित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पत्रिका ‘पुरवासी’ का सम्पादन। पर्वतीय संस्कृति के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित।

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मृणाल पाण्डे

प्रयाग, भोपाल और दिल्ली वि.वि. में अध्यापन। वाशिंगटन डी.सी. स्थित कोरकोरन स्कूल से मूर्ति शिल्प, कला और डिजायनिंग में प्रशिक्षण प्राप्त किया। ‘टाइम्स आफ इण्डिया’ प्रकाशन समूह की प्रसिद्ध पत्रिका ‘वामा’ का सम्पादन किया। आजादी के बाद बदले हुए भारतीय परिवेश को इन्होंने अपनी कहानियों, उपन्यासों, और नाटकों में रेखांकित किया। स्टार टी.वी. और दूरदर्शन के लिए कार्य। दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत।

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