महावीर रवांल्टा

तीन उपन्यास व दो कहानी संग्रह प्रकाशित। एक उपन्यास, एक कहानी संग्रह व एक नाटक प्रकाशनाधीन। देश भर की पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, लेख, व्यंग्य, कविताएं, साक्षात्कार व समीक्षाएं प्रकाशित व आकाशवाणी से प्रसारित। अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित एवं कहानियां पुरस्कृत। कुछ नाटकों का लेखन निर्देशन एवं अभिनय.

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यशोधर मठपाल

तूरीनो (इटली) में 1995 में गुफाकला के विश्व सम्मेलन की अध्यक्षता, वहीं इंटरनेशनल फैडरेशन आफ रॉक आर्ट आर्गनाइजेशन द्वारा मानद डिप्लोमा। 1999 में पुर्तगाल में एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के सत्र की सह अध्यक्षता। 2001 में मेजो दे साइन्सेज, पेरिस द्वारा आमंत्रित आचार्य। 1959 में बनारस विश्वविद्यालय द्वारा चित्रकला में प्रान्तीय प्रथम पुरस्कार स्वरूप स्वर्णपदक। 1985 में कन्हैयालाल प्राग दास स्मारक समिति द्वारा कलाश्री। 2000 में अखिल गढ़वाल सभा देहरादून व उत्तरायणी मेला समिति द्वारा अभिनन्दन। उत्तरांचल की प्रथम गणतंत्रदिवस संध्या पर मुख्यमंत्री द्वारा प्रशस्तिपत्र व 25000 रु. का पुरस्कार। प्रागैतिहासिक पुरातत्व व लोक कला संस्कृति पर 19 मौलिक पुस्तकों का सृजन। 200 से अधिक शोध प्रपत्र, कुछ कविता संग्रह भी प्रकाशित विन्ध्यांचल, केरल, आन्ध्र, कनार्टक, उत्तर प्रदेश व उत्तरांचल में 400 से अधिक गुफाओं से आदि मानव की कला का शोधन। कई सहस्र चित्रों का सृजन, देश-विदेशों में 25 एकल चित्र प्रदर्शनियाँ, 15 विश्व सम्मेलनों में भागीदारी। उत्तराखण्ड की काष्ठ कला पर विशेष कार्य।

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शीतांशु भारद्वाज

सन 1964-65 तक दिल्ली में ‘हिमाद्रिजा’ पत्रिका का सम्पादन। 1960 से निरंतर लेखन। अब तक राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1200 कहानियां प्रकाशित। कई कहानियों का आकाशवाणी लखनऊ, चुरू व जयपुर से प्रसारण। अब तक 10 उपन्यास, 14 कहानी संग्रह तथा 9 पुस्तकें संपादित। सम्प्रति फाल्गुनी फीचर्स का संचालन।

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त्रिलोक चन्द्र भट्ट

पृथक राज्य आन्दोलन के ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में सबसे पहले दो भागों में प्रकाशित होने वाली पुस्तक‘उत्तराखंड आंदोलन’ का लेखन। पर्वतीय क्षेत्र की पृथक राजनैतिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए चले 20 वर्ष के संघर्ष में सक्रिय भागीदारी। दैनिक ‘बद्री विशाल’ में उत्तरांचल डेस्क प्रभार/उप संपादक।

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हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’

दून स्कूल में हाउस मास्टर और भारतीय भाषा विभागाध्यक्ष रहते हुए 32 तक वर्ष अध्यापन, एस.एन. कालेज में 5 वर्ष प्रिंसिपल। मूर्धन्य हिन्दी-अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 400 कहानियाँ, उपन्यास, एकांकी, संस्मरण, यात्रावृत्त और लेख प्रकाशित। लगभग 35 पुस्तकें (उपन्यास, कहानी संग्रह, एकांकी, संस्मरण, पर्वतारोहण सम्बंधी पुस्तकें) प्रकाशित। अंग्रेजी में लिखी कहानी ‘स्नो एण्ड स्नो’ को बी.बी.सी. ने प्रसारित किया। अनेक कहानियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद। कई सांस्कृतिक-सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी; कई नाटकों का निर्देशन व मंचन; अनेक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के अध्यक्ष और सचिव। पर्वतारोहण की पृष्ठभूमि पर लिखी पुस्तकों पर उ.प्र. सरकार द्वारा दो बार नकद पुरस्कार, एकांकी लेखन पर स्वर्ण पदक, शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत। दिल्ली संस्कृत अकादमी, कालिदास समारोह समिति, उत्तराखण्ड कला मंच, स्वतंत्रता दिवस समारोह समिति, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग, ओ. एन. जी. सी., हिमालय पर्यावरण सोसाइटी आदि कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित और अलंकृत।

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प्रेमलाल भट्ट

हिन्दी साहित्य और गढ़वाली के अधिकारिक लेखक। 1956 में सरकारी सेवा में प्रवेश। पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ विभाग में 1984 से 1989 तक निदेशक (राजभाषा) नियुक्त रहे। सदस्य हिन्दी सलाहकार समिति, दूर संचार विभाग, भारत सरकार। हिन्दी अकादमी द्वारा ‘द्रोणाचार्य की पराजय’ उपन्यास पुरस्कृत। गढ़वाल साहित्य मण्डल के संस्थापक अध्यक्ष।

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हरिसुमन बिष्ट

तीन उपन्यास, तीन कहानी संग्रह, एक यात्रा संस्मरण, एक संपादित पुस्तक अब तक प्रकाशित. 1993 में अराधक सम्मान, 1995 में डॉ. अम्बेडकर सेवा श्री सम्मान, 1995 में रामवृक्ष बेनीपुरी सम्मान, 2000 में हिन्दी सेवी सहस्राब्दी सम्मान प्राप्त।

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