शुभा मुदगल

यह सर्वविदित है कि उनके गाये गीतों के दर्जनों बहुचर्चित कैसेट्स, सी.डी. आ चुके हैं। उन्होंने सैकड़ों कार्यक्रम प्रस्तुत किये हैं। संगीत में परम्परा और प्रयोगशीलता दोनों को उन्होंने ऊँचाइयाँ दी हैं। शास्त्रीय संगीत और गायन में उन्होंने बहुत कुछ नया और ताजगी भरा जोड़ा है। कई फिल्मों में संगीत दिया है।

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हरीश चन्द्र पाण्डे

‘एक बुरूंश कहीं खिलता है’ (कविता संग्रह) तथा ‘कुछ भी मिथ्या नहीं है’ (कविता-पुस्तिका) प्रकाशित। एक बाल-कथा संग्रह भी प्रकाशित। कविता संग्रह ‘कल की तारीख’ में प्रकाशनाधीन परिमल सम्मान योजना के अंतर्गत कविता हेतु वर्ष 1995 का सोमदत्त सम्मान प्राप्त। कविताओं के अनुवाद कुछ अन्य भारतीय भाषाओं में भी प्रकाशित। कुछ कहानियां भी प्रकाशित। वर्ष 2001 में केदार सम्मान मिला, उ.प्र. हिन्दी संस्थान का सृजन पुरस्कार।

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आर.पी. डबराल

अनेक स्थानों पर राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया। त्रिवेणी कला संगम, धूमीमल आर्ट सेंटर, जहाँगीर आर्ट गैलरी में एकल प्रदर्शनी, अनेक दुर्लभ दृश्यों को चित्रांकित किया और संग्रहण भी।जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः कला-जगत में प्रवेश जिसने मुझे हर घटना, हर कार्य कलाप, (चाहे वह किसी व्यक्ति के साथ एक प्याला चाय पीना ही क्यों न हो) से कुछ ग्रहण करना सिखाया और हर नई कल्पना को सृजन का रूप देने का गुर सौंपा।

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दामोदर जोशी ‘देवांशु’

अध्यापन के साथ हिन्दी और कुमाउँनी में मौलिक सृजनात्मक अभिव्यक्ति की ओर उन्मुख। शैशवकालीन कुमाउँनी कविता संग्रह ‘कुदरत’, कुमाउँनी काव्य संग्रह ‘खाण’ (कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल) हिन्दी काव्य संग्रह (हेम रश्मि), कुमाउँनी विद्वानों के श्रेष्ठ गद्यों का संकलन ‘गद्यांजलि’ का संपादन, ‘किरमोई तराण’ (अल्मोड़ा में संकलित कविताएँ), एक कुमाउँनी और एक हिन्दी काव्य प्रकाशनाधीन। आकाशवाणी से विभिन्न लेख, कविताएँ, वार्ताएँ प्रसारित। शिक्षकों के संगठन में सक्रिय भागीदारी।

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