विभिन्न देशों के विभिन्न कलैंडर

[ पिछ्ले अंको में आपने कलैंडर के विज्ञान और भारतीय पंचांगों के इतिहास के बारे में पढ़ा। आज पढ़िये विभिन्न देशों में प्रचलित विभिन्न कलैंडरों के बारे में। श्री देवेन्द्र मेवाड़ी जी नें यह आलेख खास अपना उत्तराखंड के पाठकों के लिये भेजा है।] हम चीनी, इस्लामी और यहूदी कलैंडरों की बात कर रहे थे। चीन में नागरिक उद्देश्य के लिए ग्रेगोरीय, लेकिन उत्सव तथा त्योहारों की तिथियों की गणना के लिए विशेष परंपरागत चीनी कलैंडर का उपयोग किया जाता है। विश्व भर में चीनी मूल के लोग इसको काम…

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भारतीय पंचाग की कहानी

[ पिछ्ले अंक में हमने जाना कि कलैंडर का इतिहास कितना पुराना है। आइये जानिये कि भारतीय पंचाग का इतिहास क्या है? श्री देवेन्द्र मेवाड़ी जी नें यह आलेख खास अपना उत्तराखंड के पाठकों के लिये भेजा है। – प्रबंधक ] आइए भारतीय पंचांग यानी भारतीय कलैंडर के बारे में जानते हैं। हमारे देश में लगभग 5,000 वर्ष पहले वैदिक काल में समय की गणना का काम शुरू हो गया था। उन दिनों इस बात का ज्ञान हो चुका था कि चांद्र-वर्ष में 360 से कुछ कम दिन होते हैं…

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कलैंडर का विज्ञान

[नया साल शुरु होते ही हम अपने कलैंडर बदल लेते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि कलैंडर की शुरुआत कैसे हुई? क्यों 1 जनवरी से ही वर्ष का आरम्भ माना जाता है? क्या किसी वर्ष में 365 की जगह 445 दिन भी थे? क्या किसी महीने में मात्र 21 दिन भी थे? विश्व में कितने तरह के कलैंडर प्रचलित हैं? भारतीय पंचांग की शुरुआत कैसे हुई? इन्ही प्रश्नों का उत्तर जानने के लिये हम एक श्रंखला प्रकाशित कर रहे हैं जिसमें आपको इन सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जायेगा।…

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