त्योहार तुम्हारे, ज्योनार हमारे

[देवेन्द्र मेवाड़ी जी द्वारा सुनाये गये श्यूँ बाघ के किस्से श्यूँ बाघ, देबुआ और प्यारा सेतुआ…., ओ पार के टिकराम और ए पार की पारभती, चिलम की चिसकाटी व बकरी चोर, श्यूं बाघ व नेपाली ‘जंग बहादुर’ , अब कहां रहे वैसे श्यूं-बाघ आप पढ़ चुके हैं। आज वह लेकर आयें है फसलों और त्यौहारों की कहानी  : प्रबंधक] “दोस्तो, तुम त्योहार की खुशियां मना रहे हो। तुम्हारी इस खुशी में हम भी शामिल हैं। हम भी? चौंक गए ना? हम यानी तुम्हारी हरी-भरी प्यारी-प्यारी फसलें! अच्छा, यह बताओ कि…

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