आवा दिदा भुलौं आवा, नांग धारति की ढकावा , डाळि बनबनी लगावा

वनों पर मानव समाज की निर्भरता हमेशा से ही रही है, लेकिन बढते जनसंख्या के दवाब और औद्यौगिकरण के लिये जंगलों के अनियंत्रित दोहन से असन्तुलन की चिन्ताजनक स्थिति पैदा हो चुकी है। इस समय “ग्लोबल वार्मिंग ” और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गम्भीर विचार-विमर्श चल रहा है लेकिन आम लोगों की सहभागिता के बिना पर्यावरण संरक्षण का कोई भी प्रयास सफल हो पायेगा ऐसा सोचना मूर्खता ही कहा जायेगा। उत्तराखण्ड की भौगोलिक स्थिति मध्य हिमालय के लिये बहुत महत्वपूर्ण और नाज़ुक है और इस इलाके के…

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रंग-रंगिलि बहार ऐगे होरी की

बसंत का मौसम उल्लास, प्रेम, नवजीवन का प्रतीक है। बसंत के मौसम में पृकृति अपने पूरे यौवन पर होती। इस मौसम में उत्तराखंड की धरती भी दुल्हन की तरह सज जाती है। इसी लिये नरेन्द्र सिंह नेगी जी कहते हैं “मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु, बसन्त रितु मा जैयि” । इसी मौसम में होली का त्यौहार भी मनाया जाता है। पूरे देश में मनाई जाने वाली होली के बीच उत्तराखण्ड की होली के रंग अलग ही हैं। यहाँ होली मात्र रंगो का त्यौहार ना होकर संगीत व सामूहिक अभिव्यक्ति…

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मैं नि करदु त्वैं से ते बात, बोल चिट्ठी किले नि भैजि

नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाये युगल प्रेम-गीत श्रोताओं का मनमोहते रहे है। चाहे वह  ज्यू त यन बौनूं च आज नाच नाचि की या फिर त्यारा रूप कि झौल मां, नौंणी सी ज्यू म्यारु हो। आज प्रस्तुत है उन्ही का गाया एक और प्रेम गीत। नरेन्द्र नेगी जी ने यह प्रसिद्ध युगल गीत सुपरहिट गढवाली फिल्म “घरजवैं” में अनुराधा निराला के साथ गाया था। फिल्म घरजवैं 1986 में रिलीज हुई थी। यह गाना इतना वास्तविक लगता है कि इसे सुनने में किसी प्यार भरे वार्तालाप को सुनने का रस…

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भलु लगुदु भनुलि तेरु माठु-माठु हिटणु हेss भलु लगुदु

नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाये सैकड़ों गीतों में यह युगल गीत अपेक्षाकृत नया माना जा सकता है । यह उनकी सर्वाधिक बिक्री होने वाली वीडियो सीडी "नौछमी नरैण" में रिलीज हुआ था। इस गीत के बोल बाजूबन्द शैली के कवित्त में लिखे गये हैं, इस तरह के बोलों को "जोड़" भी कहा जाता है। इन गानों में अन्तरों की प्रथम पंक्ति का उपयोग केवल तुक (जोड़) मिलाने के लिये होता है। दूसरी पंक्ति सार्थक होती है लेकिन प्रथम पंक्ति का दूसरी पंक्ति से कोई संबन्ध जुड़े यह जरूरी नहीं…

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परसि बटि लगातार, बारि-बारि कू बुखार, चड़्यू च रे डाग्टार, मोर्दु छौं उतार-उतार

नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाये गये सैकड़ों गीतों में हर शैली के गीत उपलब्ध हैं। इन गीतों में बहुत विविधताएं देखने को मिलती है, लेकिन सभी गीत मानवीय भावों के उत्कृष्ट चित्रण, सुन्दर बोलों और मधुर संगीत से सजे हैं। प्रस्तुत गीत नेगी जी ने “छिबराट” नामक आडियो कैसेट में गाया था। यह मजेदरा गीत भी अपने आप में अनोखा है – एक बुजुर्ग महाशय अपने खराब स्वास्थ्य को ठीक करने की पूरी जिम्मेदारी एक डाक्टर को सौंपने की इच्छा रखते हैं। लेकिन वो खान-पान आदि का परहेज रखने…

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ज्यू त यन बौनूं च आज नाच नाचि की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी और अनुराधा निराला जी की आवाज में यह प्रसिद्ध युगल गीत प्रस्तुत है। प्रेमी-प्रेमिका के लम्बे बिछोह के बाद मिलने पर  उनके हृदय की प्रसन्नता, एक दूसरे के निकट रहने की चाह और समर्पण की भावना को दर्शाता यह गाना नेगी जी के कई अन्य गानों की तरह बहुत पुराना और सदाबहार गाना है। प्रेम में डूबे हुए प्रेमी युगल इस गाने के माध्यम से एक-दूसरे के प्रति गहरे प्यार का इजहार कर रहे हैं और इस प्रेम को अक्षुण्ण रखने का संकल्प भी ले रहे…

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नयु-नयु ब्यो च मिठि-मिठि छुईं लगौंला

नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने बहुत से रोमांटिक गाने गाये हैं। आज हम एक ऐसा ही रोमांटिक गाना प्रस्तुत कर रहे हैं। नेगी जी का शायद ही कोई प्रशंसक होगा जिसने उनका यह गाना सुना और सराहा नहीं होगा। नेगी जी के प्रारम्भिक दौर के गानों में इस गाने का विशिष्ट स्थान है। एक नवविवाहित युगल पहाड़ के पैदल रास्ते से अपने घर जा रहे हैं, लेकिन चलते-चलते वह एक बहस में उलझ गये हैं।  दरअसल मामला पैदल चलने की रफ़्तार को लेकर है। नयी-नवेली दुल्हन कोमलांगी है, वह चाहती…

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