पूरन चन्द्र जोशी

प्रोफेसर एवं निदेशक, इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनोमिक ग्रोथ, नई दिल्ली।योजना आयोग में पैनल ऑफ इकोनोमिस्ट्स तथा पर्वतीय विकास सलाहकार समिति के सदस्य। अध्यक्ष, सॉफ्टवेयर प्लानिंग कमेटी-दूरदर्शन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार।चेयरमैन, भारतीय जन संचार संस्थान तथा नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा। रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि। अंग्रेजी में 12 व हिन्दी में 7 पुस्तकों की रचना। मुख्य पुस्तकें ‘उत्तराखण्डः इश्यूज एण्ड चेलैंजेज’, ‘उत्तराखण्ड के आयने में हमारा समय’ (2003)।

Read More

प्रयाग जोशी

कुमाउँनी लोक गाथा के तीन संकलनों का, लोक गाथाओं पर शोध से सम्बंधित निबंधें (दो जिल्दों में) का, कुमाऊं की वनराजि जाति पर शोध सर्वेक्षण यात्राओं से संम्बधित एक रोचक पुस्तक का तथा सीरा के मल्ल व चंद राजाओं के समय की बहियों का प्रकाशन।

Read More

प्रसून जोशी

राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञापनों में पुरस्कार। शुभा मुदगल तथा ‘सिल्क रूट’ के ऊपर चार सुपर हिट ‘एलबम्स’ में धुन रचना के लिए पुरस्कार। फिल्म ‘लज्जा’, ‘आंखें’, ‘क्यों’ में संगीत दिया। तीन पुस्तकें प्रकाशित कीं। ‘ठण्डा मतलब कोका कोला’ एवं ‘बार्बर शॉप-ए जा बाल कटा ला’ जैसे प्रचलित विज्ञापनों हेतु अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिली।

Read More

पाराशर गौड़

गढ़वाली में नाट्य लेखन, पुष्पांजलि रंगशाला व आंचलिक रंगमंच के संस्थापक; 1960 से 1984 तक लेखन, अभिनय व निर्देशन; बीस वर्षों तक गढ़वाली नाटकों, गीतों व कविताओं की रचना। कुछ गीत और कविताएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। 1983 में पहली गढ़वाली फिल्म ‘जग्वाल’ का निर्माण।1988 में कनाडा प्रवास, वहां भी फिल्मों से जुड़ाव बना हुआ है। कुछ अंग्रेजी, हिन्दी व पंजाबी फिल्मों में काम किया। उत्तरी अमेरिका में गढ़वाली एकांकी का मंचन किया। गढ़वाली गीतों के वीडियो निर्माण में संलग्न।अमेरिका में प्रवासी उत्तरांचली संगठनों में सक्रिय।

Read More

अच्युतानन्द घिल्डियाल

पाकिस्तान बनने और गांधी जी के कहने पर स्वतंत्रता संग्राम में कार्य करने का जब कुछ लाभ नहीं दिखा तो राजनीति छोड़ कर 1952 में बी.ए., एम.ए. और पीएच.डी. की। 1970 से अध्यापन और लेखन कार्य में संलग्न। एकला चलो रे के आधार पर संकट झेलकर लेखन कार्य किया और प्राचीन भारतीय साहित्य को प्रकाश में लाने वाले ग्रन्थ लिखे। अब तक 3 दर्जन से अधिक पुस्तकों की रचना।

Read More

मदन मोहन घिल्डियाल

इलाहाबाद में रहते हुए भी पहाड़ तथा इसके सरोकारों से सम्पर्क बनाये रखा। ‘सीमान्त प्रहरी’, ‘कर्मभूमि’ एवं ‘पर्वतीय’ आदि पत्रों में लेखन। उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान मुजफ्फरनगर काण्ड के विरोध में स्पेशियल काउन्सिल उत्तर प्रदेश सरकार से इस्तीफा तथा इस काण्ड की जाँच हेतु उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। 1997 में चीफ स्टैंडिंग काउन्सिल उत्तर प्रदेश बने साथ ही नगर निगम इलाहाबाद, हे.न.ब.ग.वि.वि., गढ़वाल जल संस्थान, ओ.एन.जी.सी. के काउन्सिल रहे। 9 नवम्बर 2000 को स्टैंडिंग काउन्सिल उत्तरांचल के रूप में नियुक्त। 30 नवम्बर 2001 को चीपफ स्टैंडिंग काउन्सिल और 18 नवम्बर 2002 को उत्तरांचल उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्ति।

Read More

एस. पी. चमोली

सेना में कमीशन और डीआईजी पुलिस पद से सेवानिवृत्त। पर्वतारोहण व साहसिक खेलों में ख्याति प्राप्त की। अभी तक 10 पर्वतारोहण, 1 स्कीइंग व 2 राफ्रिटंग अभियानों में हिस्सेदारी की है। सदस्य, इंडियन माउंटेनियरिंग फाउण्डेशन की गवर्निंग काउंसिल; चेयरमैन, स्पोर्टस क्लाइम्बिंग कम्पटीशन्स; सदस्य, उत्तरांचल पर्यटन सलाहकार समिति; राष्ट्रपति पुलिस पदक व रक्षा पदक से सम्मानित; ‘द ग्रेट हिमालयन ट्रैवर्स’ व ‘राफ्टिंग डाउन द मिस्टिक ब्रह्मपुत्र’ पुस्तकों का लेखन। हिमालय के पूर्व से पश्चिम तक 5000 किमी. से अधिक पदअभियानों का कीर्तिमान।ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रथम बार राफ्टिंग करके अभी तक का कीर्तिमान अटूट है।

Read More