विजय कुमार किचलू

कलकत्ता की प्रसिद्ध संगीत शोध अकादमी के संस्थापक सदस्य। यह स्वतंत्र भारत का पहला ऐसा प्रयोग है जिसमें ‘गुरु-शिष्य परम्परा’ पर आधरित शिक्षण पद्धति अपनाई गई। 20 वर्षों के अल्प समय में इस संस्था ने देश को चुनिंदा उत्कृष्ठ गायक दिए हैं। युवाओं के नाम संदेशः हमारी प्रदर्शन कलाएं न सिर्फ़ हमारे खजाने हैं, बल्कि सारे विश्व में इसे सम्मान मिलने लगा है। नई पीढ़ी को इन्हें समझना सीखना होगा। और यदि वह ऐसा करती है तो निश्चय ही उसे बौद्धिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर अप्रतिम आनंद प्राप्त होगा।

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ओम प्रकाश कुकरेती

प्रवक्ता पद पर शिक्षक की नौकरी शुरू की। बाद में नवोदय विद्यालय श्रीगंगानगर में प्राचार्य पद पर पदोन्नत। 1979. 1980 और 1982 में हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा उत्कृष्ठ शिक्षक का पुरस्कार। चार उपन्यास, दो कहानी संग्रह व विविध विधाओं में दर्जनों अन्य रचनाएं प्रकाशित। कहानी लेखन के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार। सन् 2000 में संयुक्त राष्ट्र संघ शांति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित सहस्राब्दि हिन्दी सम्मेलन में राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्राब्दि सम्मान एवं पदक।

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अजीत चन्द कुँवर

न्यूक्लियर मेग्नेटिक रिजोनेंस (एन.एम.आर.) के जरिए आणविक बनावट तथा गतिशीलता पर विस्तृत कार्य किया, जिसमें द्रव क्रिस्टलों के उपयोग पर आधरित कार्य का विशेष महत्व है। अंतर्राष्ट्रीय शोध्- पत्रिकाओं में अब तक 140 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित। बासेल विश्वविद्यालय, स्विटजरलेंड में पोस्ट डॉक्टोरल फ़ैलो तथा इलेनॉय विश्वविद्यालय, अमेरिका में विजिटिंग साइंटिस्ट। वैज्ञानिक उपलब्धियों पर अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के फ़ैलो।

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केदार सिंह कुंजवाल

स्कूली शिक्षा के बाद सर्वोदय से जुड़ गए| जयप्रकाश नारायण, अन्ना सहस्रबुद्धे, सुरेश राम भाई, विमला ठकार, करण भाई जैसे सर्वोदयी कार्य कर्ताओं के सानिध्य में रहने का अवसर प्राप्त हुआ। 1957 में मिर्जापुर जाकर आदिवासी क्षेत्रों में पांच वर्ष में समाजसेवा का कार्य किया। इस दौरान आचार्य विनोवा भावे के संपर्क में आए और अनेक पदयात्राएँ कीं। 1963 में गांधी स्मारक निधि से जुड़े। 1964 में ग्राम स्वराज्य मंडल कुंज जैंती की स्थापना देवकी कुन्जवाल के साथ की। उत्तराखण्ड में शराबबंदी, वन बचाओ आदि आन्दोलनों में भागीदारी। उत्तरा निर्धूम चूल्हे का विकास, बागेश्वरी चर्खे को नया रूप दिया जिसे ‘कर्मयोगी चर्खा’ नाम दिया गया।

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महेन्द्र कुँवर

दशौली ग्राम स्वराज्य मण्डल के कार्यक्रमों में शामिल । सी.एस.ई. में 1984-87। हार्क की स्थापना 1989 ।बूँद का प्रकाशन, संसाधन प्रबन्धन/आर्थिक क्रिया-कलाप। ग्रामीण बाजार सम्बन्धों पर कृषि कार्य, ग्रामीण स्तर पर संगठनों का निर्माण, नौगाँव में प्रसार शिक्षण केन्द्र की स्थापना। क्षमता विकास तथा महिलाओं/पंचायतों को लेकर कार्य।

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एस.पी. कोच्छड़

देहरादून की 4 बेहतरीन कालोनियों का निर्माण।होटल मधुबन का निर्माण जिसे पर्यटन के क्षेत्र में अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।अध्यक्ष दून वैली होटल एण्ड रेस्टोरेंट ऐसोसिएसन।वरिष्ठ उपाध्यक्ष, उत्तरांचल होटल एण्ड रेस्टोरेंट ऐसोसिएसन।भू.पू. प्रेसीडेंट, दून चैम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री।सदस्य, पर्यटन सलाहकार समिति, उत्तरांचल सरकार।

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आर.के. कोटनाला

उच्च स्तर की पांच पुस्तकों का लेखन।पचास से अधिक मौलिक शोधपत्र। चुम्बकत्व में राष्ट्रीय स्तर पर कंसल्टेंट । जापान और जर्मनी के साथ कई परियोजनाएं कीं।

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