धर्मानन्द उनियाल ‘पथिक’

अब तक 11 पुस्तकों का प्रकाशन।सैकड़ों लेख प्रकाशित, आकाशवाणी से हिन्दी-गढ़वाली में वार्ताएं प्रसारित।अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संस्थाओं की स्थापना तथा अनेक से जुड़ाव।उत्तराखण्ड में चले कुछ आंदोलनों- विश्वविद्यालय आंदोलन, स्वामी मन्मथन के साथ मद्यनिषेध व बलि विरोधी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।गढ़ गौरव सम्मान;उत्तराखण्ड जन कल्याण समिति, मुंबई का सम्मान; गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा मानपत्र;स्वामी मन्मथन स्मृति सम्मान;कालिदास सम्मान;उत्तराखण्ड गौरव सम्मान गढ़श्री सम्मान।

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माया राम उनियाल

नवम्बर, 1962 में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अनुदान से गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरद्वार में वनौषध सर्वेक्षण अनुसंधन केन्द्र में आयुर्वेद अनुसंधन अधिकारी के पद पर नियुक्ति। तभी से वनौषध अनुसंधान के क्षेत्र में केन्द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद्, भारत सरकार हेतु कार्य करते हुए वनौषधि सर्वेक्षण अनुसंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञ के रूप में पहचान बनाई।

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राम चन्द्र उनियाल

स्वतंत्रता सेना में हिस्सेदारी, टिहरी में।सामन्तशाही के विरुद्ध प्रजामण्डल आन्दोलन में सक्रिय। तीन बार जेल गये। टिहरी राज्य के सकलाना किसान आन्दोलन के नायक। 1949 में टिहरी विधान निर्मात्री समिति के सदस्य।1957 से 1962 तक विधायक रहे।

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देवेन्द्र उपाध्याय

1962 से नियमित लेखन।अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।1971 से पत्रकारिता से जुड़े।1973-1985 तक ‘दैनिक जनयुग’ तथा 1985-1989 तक ‘दैनिक देशबंधु’ (म.प्र.) के दिल्ली ब्यूरो में।अब तक प्रकाशित पुस्तकें: “अजनबी शहर में”, “संदर्भ”, “जंगल और हम” (कविता संग्रह) ,”शहर में आखिरी दिन”, “एक और वापसी”, “उसके हिस्से में”,”इक्कीस कहानियां” (कहानी संग्रह), कई एक चेहरे, आखर, छपते-छपते (उपन्यास), कोहरे की घाटी में, एक खूबसूरत सपना (यात्रा-वृतान्त), समाचार पत्रों की दुनिया में (पत्रकारिता)। संपादनः कूर्मांचल (त्रैमासिक), लोकभूमि (साप्ताहिक), अनास्था, परिभाषा (अनियतकालिक), जवाहरलाल नेहरूः बहुआयामी व्यक्तित्व, पंचायती राज व्यवस्था, उत्तरायणी (उत्तराखण्ड के कथाकारों की कहानियां), आजादी के 50 सालः क्या खोया क्या पाया।

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अलख नाथ उप्रेती

स्कूली जीवन से ही रंगमंच, सांस्कृतिक गतिविधियों व खेलकूद में भागीदारी। बॉक्सिंग चैंपियन।हाईस्कूल के दौरान मार्क्सवादी साहित्य से परिचय।प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन में हिस्सेदारी। विश्वविद्यालयी जीवन में ‘इप्टा’ में सक्रिय। कालांतर में मोहन उप्रेती के नेतृत्व में अल्मोड़ा के विख्यात ‘लोक कलाकार संघ’ के सक्रिय सदस्य। पुरागामी व दकियानूसी मूल्यों के खिलाफ सतत संघर्षरत। 1986 में पहली कुमाउँनी फिल्म ‘मेघा आ’ में अभिनय। 1993 से ‘सांस्कृतिक क्रांति मंच’ के जरिये नौजवानों में क्रांतिकारी उत्तराखण्ड के निर्माण के लिए समर्पित।

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आनन्द बल्लभ उप्रेती

पत्रकारिता में ‘सरिता’ (1966) तथा ‘संदेश सागर’ (1967) से शुरुआत। सहयोगी स्व. दुर्गा सिंह रावत के साथ 1978 से पहले साप्ताहिक ‘पिघलता हिमालय’ निकाला। 1980 में एक साल तक दैनिक के रूप में निकला। पुनः यह साप्ताहिक के रूप में नियमित प्रकाशित होता रहा। ‘नैनीताल समाचार’, ‘दिनमान’ तथा ‘नवभारत टाइम्स’ के संवाददाता। ‘आदमी की बू’ (कहानी संग्रह) तथा ‘नन्दा जात के बहाने’ किताबें प्रकाशित।

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गिरीश चन्द्र उप्रेती

1975-76 डैलावेयर वि.वि. नीवर्क ट्रेनिंग में शोध् सहायक।1979-82 तक टेक्सास, ए.एण्ड एम. वि.वि. कालेज स्टेशन, अमेरिका में शोध् वैज्ञानिक। 1983 से रूआकुरा शोध् संस्थान हैमिल्टन, न्यूजीलैण्ड में वरिष्ठतम वैज्ञानिक। पंतनगर और टेक्सास वि.वि. में अध्यापन। 60 शोधपत्रों का लेखन। ‘स्परमेटालॉजी’, ‘जेनेटिक्स’ और मेम्ब्रेन बायोकैमिस्ट्री विषयों पर अनेक शोधपत्र।

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