राकेश चन्द्र नौटियाल

अपनी अपंगता से निराश न होकर विषम परिस्थितियों से जूझते हुए भाई-बहिनों की शिक्षा-दीक्षा व जीवन में व्यवस्थित होने में सहायक रहना। स्वयं का जीवन व्यवस्थित करना। 30 वर्ष के अध्यापन अनुभव के अलावा दो कविता एवं एक कहानी संग्रह का प्रकाशन तथा दो पुस्तकें संपादित कीं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में दर्जनों निबंध एवं शोध पत्र प्रकाशित। ‘नैतिकी’ मासिक पत्रिका तथा उत्तराखण्ड शोध संस्थान की ‘शिक्षा शोध पत्रिका’ का सह संपादन। सीमान्त खबर (साप्ताहिक) का साहित्यिक संपादक। सदस्य, सलाहकार समिति, इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नालॉजी एण्ड मैनेजमेंट, चकराता रोड, देहरादून।

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प्रभाती नौटियाल

कविताएं, लेख, समीक्षाएँ विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित; जे.एन.यू. से एम.ए. के बाद भारतीय विदेश व्यापार संस्थान में 1978-98 तक स्पेनी भाषा का अध्यापन; 1999 से ‘लोर्का’ त्रैमासिक का संपादन, जो मूल से विदेशी साहित्य को हिंदी में प्रकाशित करने का प्रयास है। मेक्सिको में 1980-81 के दौरान वहाँ के साहित्य पर शोध करने वाला पहला भारतीय। लातीनी अमरीकी देशों द्वारा संयुक्त रूप से दिये जाने वाले पुरस्कार ‘सिमोन बोलीवार’ से सम्मानित; दस से अधिक मूल स्पेनी से अनूदित साहित्यिक कृतियां हिंदी में प्रकाशित, जिनमें पाब्लो नेरूदा की कविताओं का संग्रह ‘रुको ओ पृथ्वी’ साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित; स्पेनी-हिंदी कोश का संपादन, जो केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ। सम्प्रतिः आई.आई.एफ.टी., दिल्ली में विजिटिंग प्रोफेसर।

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नन्द किशोर नौटियाल

विगत 50 वर्षों से पत्रकारिता लेखन में सक्रिय। नवभारत, लोकमान्य, लोकमत, सरिता, मजदूर जनता, हिमालय टाइम्स, नई कहानियां, हिंदी टाइम्स आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य किया। हिन्दी ब्लिट्ज, मुंबई का उन्नीस वर्ष तक संपादन किया। विभिन्न विषयों पर अब तक लिखे लेखों की एक पुस्तक ‘परिप्रेक्ष्य’ प्रकाशित तथा एक उपन्यास प्रकाशनाधीन।

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चन्द्रमोहन नौटियाल

विद्यार्थी जीवन में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति प्राप्त की. पढ़ाई के दौरान शिक्षणेत्तर गतिविधियों में भी बढ़-चढ़ कर भागीदारी. तीन दर्जन शोध आलेख विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित. अनेक राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान बैठकों और सम्मेलनों में भागीदारी. अमेरिका की मीटियोरिकल सोसायटी द्वारा पुरस्कार स्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय छात्र भ्रमण यात्रा ग्रान्ट प्रदान की गई. ‘इन्सा’ द्वारा युवा वैज्ञानिक मैडल पुरस्कार प्राप्त तथा जर्मनी में छात्रवृत्ति विज्ञान परिषद, इलाहाबाद द्वारा ‘विज्ञान वाचस्पति पुरस्कार’ से सम्मानित। साइंस क्लब द्वारा ‘उ.प्र. विज्ञान संचारक पुरस्कार’। ‘सीमैप’ लखनऊ द्वारा सम्मानित।

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कांति प्रसाद नौटियाल

प्रोफेसर पद के बाद डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय तथा हे.न. बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्त। यू.जी.सी. इमेरिटस प्रोफेसर। वर्तमान में शिमला के भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में फैलो। उत्तराखण्ड के इतिहास को पुरातत्व की परिधि में परीक्षण करने का सर्वप्रथम प्रयास। पुरातात्विक उत्खननों द्वारा उत्तराखण्ड की सभ्यता व संस्कृति पर नया प्रकाश। पुरातत्व तथा इतिहास पर किताबें और शोध पत्र प्रकाशित।

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भुवन चन्द्र नैनवाल

नंदाखाट, बैलजुरी, पताल्सू, देबिस्थान, नन्दा घुण्टी आदि अनेक शिखरों का आरोहण। रामजस संस्थान में पिछले 20 वर्षों से साहसिक अभियानों, पथारोहण, शिलारोहण आदि का प्रशिक्षण दिया। रामजस फाउंडेशन की 30 एकड़ भूमि को आरोहण गतिविधियों से युक्त स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित किया, जिसमें क्रिकेट, टेनिस, एथलेटिक ट्रैक, वॉलीबाल, बैडमिन्टन, हैण्डबाल, फुटबाल, हॉकी, बास्केटबाल खेलने की सुविधायें हैं। ट्रेनिंग हेतु चट्टानें, एडवेन्चर ऑब्स्टैकिल, 50 फुट ऊँची क्लाइम्बिंग वाल बनवाये हैं। साथ ही लगभग 2000 वृक्ष भी हरियाली के लिए लगवाये हैं। भारतीय पर्वतारोहण संस्थान द्वारा आयोजित नेशनल स्पोर्ट क्लाइम्बिंग प्रतियोगिता में ‘जज’। उत्तर भारतीय स्पोर्ट क्लाइम्बिंग प्रतियोगिता का 7 वर्षों से आयोजन कर रहे हैं।

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मोती सिंह नेगी

1952 में झांसी जेल में देश के बड़े नेताओं और संग्रामियों के साथ 6 माह रहने का अवसर मिला। बाद में गाँव वापस लौटने पर सामाजिक कार्यों में संलग्न हो गया। अपने क्षेत्र में प्राइमरी पाठशाला, जूनियर हाईस्कूल, बिनसर महादेव मंदिर और सड़कें बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज भी रामनगर में एक धर्मशाला के निर्माण में सक्रिय।

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