उमा दत्त शर्मा (उमाशंकर ‘सतीश’)

दो दर्जन से अधिक हिन्दी, अंग्रेजी, गढ़वाली भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। उपराष्ट्रपति द्वारा हिन्दी लेखन के लिए सम्मानित। सूरीनाम तथा नीदरलैंड में हिन्दी अध्यापन। गढ़वाली लोक संगीत का आकाशवाणी दिल्ली से वर्षों तक प्रसारण किया। गढ़वाली संगीत के ग्रामोफोन रिकार्ड्स बने तथा गढ़वाली गाथाओं एवं भजनों के कैसेट खूब प्रचलित हुए।

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जितेन्द्र शर्मा

‘अभियान’ व ‘एक और अभियान’ पुस्तकों का संपादन जिनमें देहरादून से सम्बद्ध लेखकों की कहानियां संकलित थीं। अब तक तीन कहानी संग्रह प्रकाशित। अनेक कहानियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद। कॉमन वैल्थ के प्रायोजन में ब्रिटेन की यात्रा व सम्मान। इसके अलावा अमेरिका की यात्रा की। 30 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया।

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डी.डी. शर्मा

40 वर्ष अध्यापन व 50 वर्ष शोध का अनुभव। भारत-आर्य, तिब्बत- बर्मी व दरद-पर्वतीय भाषाओं में विशेषज्ञता। इसके अतिरिक्त संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, फ्रेंच, जर्मन, पंजाबी, नेपाली, डोगरी, बंगाली, गुजराती, तिब्बती तथा हिमालय की अनेक भाषाओं का ज्ञान। भाषाशास्त्र, प्राचीन भारतीय इतिहास व संस्कृति में विषद शोध। 30 ग्रन्थों व 150 से अधिक शोधपत्रों का प्रकाशन। जवाहर लाल नेहरू फैलोशिप, इंदिरागांधी मैमोरियल फैलोशिप तथा यू.जी.सी. ऐमेरिटस फैलोशिप प्राप्तकर्ता। अनेक शोध परियोजनाओं का निर्देशन। उ.प्र. संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत साहित्य पुरस्कार। अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित।

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नरेन्द्र कुमार शर्मा

1988-89 में मै. काण्डपाल रसायन प्रा. लि. नाम से एक और कम्पनी शुरू कर उत्पादों की संख्या में वृद्धि की। अनेक अन्य कम्पनियों के राजकीय वितरक। निदेशक, हिन्द मिनिएचर प्रा. लि. अनेक राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक संगठनों से सम्बद्ध; उत्तराखण्ड महासंघ के अध्यक्ष; सदस्य, आनन्दधाम आश्रम ट्रस्ट; सचिव, स्वामी हीरानन्द इंटरनेशनल परमार्थ मिशन तथा उप सचिव, विज्ञान विहार धर्म संस्थान।

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चन्द्रकांत रावत

‘शुक्रिया’ (गजल संग्रह) ‘सपनों के शिखर’ ;कविता संग्रह में रचनाएँ प्रकाशितद्ध। देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएँ प्रकाशित। मद्यपान निषेध सम्बन्धी आसियान देशों के सम्मेलन, जुलाई- 2000 में बैंकाक तथा सार्क देशों के सम्मेलन दिसंबर- 2002, काठमाण्डू में भारत का प्रतिनिधित्व।

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गजेन्द्र सिंह रावत

आज तक संयुक्त परिवार का सदस्य बने रहना। गरीब परिवार का होने के बावजूद एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कालेज से डिग्री लेना। अपनी लिमिटेड कम्पनी की स्थापना जिसका कारोबार आज 10 करोड़ रुपये से अधिक का है।उत्तरांचल की सामाजिक गतिविधियों में हिस्सेदारी।

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कलावती रावत

विश्व महिला शीर्ष सम्मेलन निधि, जेनेवा के ‘ग्राम्य जीवन में रचनात्मक पुरस्कार’ से सम्मानित। ‘चिपको आन्दोलन’ की जननी दशौली ग्राम स्वराज्य मंडल की सक्रिय सदस्य। बछेर गाँव में बिजली की सुविधा के लिए महिलाओं को संगठित किया। महिला मंगल दल की अध्यक्षा। हिंदुकुश हिमालय के देशों की महिलाओं के संगठन ‘हिमवंती’ की उत्तराखण्ड क्षेत्र की संयोजक। जल, जंगल और जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा विवेकपूर्ण दोहन के लिए चल रहे विभिन्न आन्दोलनों में सक्रिय भूमिका।

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