इरशाद हुसैन

12 नवम्बर 70 को मुन्सिफ मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य भार ग्रहण। 16 जनवरी 78 को सिविल जज के रूप में नियुक्ति। 31 जुलाय 83 को उच्च न्यायिक सेवा में नियुक्ति। उत्तरांचल सरकार के न्यायिक व संसदीय मामलों के सचिव के रूप में नियुक्ति। जिला सत्र न्यायाधीश सहारनपुर के रूप में कार्य किया।

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जे.सी.एस. रावत

1976 में यू.पी. न्यायिक विभाग में मुन्सिफ मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्ति। 1994 तक उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों में उच्च न्यायालय के ऑफीसर के रूप में नियुक्ति व कार्य किया। 1994-2000 तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ बैन्च में अतिरिक्त रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार के रूप में कार्य किया। बाद में उत्तरांचल राज्य के गठन के बाद नवम्बर 2000 में नैनीताल हाईकोर्ट में रजिस्ट्रार जनरल पद पर नियुक्ति। जनवरी 2003 से सर्वोच्च न्यायालय में जनरल रजिस्ट्रार के रूप में कार्य।

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कैलाश चन्द्र जोशी

सीधे चयन द्वारा प्रोफेसर निदेशक, अल्मोड़ा परिसर (कुमाऊँ विश्वविद्यालय); उप-कुलपति व कुलपति, कुमाऊँ विश्वविद्यालय; लॉ डीन्स कान्स्टीटुएन्सी द्वारा तीन बार इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली की गवर्निंग काउंसिल के लिए निर्वाचित।

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प्रफुल्ल चन्द्र पंत

कानून की कुछ पुस्तकों के लेखन के लिए भारत सरकार से 25,000 रुपये का पुरस्कार।युवाओं के नाम संदेशः उत्तराखण्डवासियों में पाए जाने वाली ईमानदारी, सादगी और कठोर मेहनत की प्रवृत्तियों को बनाये रखना जरूरी है।

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कमला पंत

‘नशा नहीं रोजगार दो’ आंदोलन के परिणामस्वरूप जनसंघर्ष की विजय; ‘प्रगतिशील महिला मंच’ और ‘उत्तराखण्ड महिला मंच’ की स्थापना; उत्तराखण्ड में महिलाओं को संगठिन करने के सघन प्रयास व अपेक्षित सफलता; महिलाओं की चेतना व आंदोलन के आधार पर अपने संगठन की ओर से देश-विदेश में प्रतिनिधित्व।

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विद्यासागर नौटियाल

टिहरी रियासत के सामन्त विरोधी आंदोलन में सक्रिय होकर राजपाट बदलने में सहायक बने। बनारस में 1952 से 1959 तक छात्र आंदोलनों में सक्रिय। 1958 में आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के अध्यक्ष निर्वाचित। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय छात्र संघ का 1953 में महामंत्री तथा 1957 में विश्वविद्यालय छात्र संसद का प्रधानमंत्री निर्वाचित। 1980 में देवप्रयाग से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कम्युनिस्ट पार्टी प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित। 1958 में वियना में आयोजित विश्व युवक समारोह में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता के रूप में शामिल। सोवियत संघ व कुछ अन्य देशों की यात्राएँ भी कीं। छात्र जीवन से कहानियां लिखना प्रारम्भ किया। हिन्दी की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित। अब हिन्दी के समकालीन प्रमुख कथाकारों में शामिल। अब तक 2 कहानी संग्रह, 3 उपन्यास प्रकाशित तथा कुछ प्रकाशनाधीन। ‘पहल सम्मान’ तथा मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के द्वारा अखिल भारतीय वीरसिंह देव पुरस्कार से सम्मानित।

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मेहरबान सिंह नेगी

1962 में एडवोकेट के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। उत्तर प्रदेश सरकार के स्टैंडिंग काउन्सिल के रूप में उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में नियुक्ति। 1983 में उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायाधीश बनने के प्रस्ताव को ठुकराया। 2002 में उत्तराखण्ड सरकार के एडवोकेट जनरल के रूप में नियुक्त।

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