गोविन्द पंत ‘राजू’

‘नैनीताल समाचार’ से दीक्षित होकर और इस पाक्षिक में 1985 तक रहकर 1994 तक ‘नव भारत टाइम्स’ लखनऊ के सम्पादकीय विभाग में रहे। 1995 से ‘आज तक’ चैनल में आये और अभी उ.प्र. के ब्यूरो प्रमुख। 1991 में पहले समाज विज्ञानी तथा पत्रकार के रूप में अंटार्कटिका की यात्रा में गये। नन्दाकोट, कामेट सहित अनेक सफल पर्वतारोहण अभियानों में हिस्सेदारी की। ‘कालिन्दीखाल अभियान 1987’ तथा ‘अस्कोट-आराकोट अभियान 1984’ सहित अनेक अध्ययन अभियानों में शामिल। पत्रकारिता तथा रिपोर्टिंग पर कुछेक सम्मान। मालपा-ऊखीमठ आपदा की टी.वी. रिपोर्टिंग पर विशेष पुरस्कार। हिमालय क्षेत्र की फोटोकारी में भी योगदान।

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कैलाश चन्द्र पंत

महू में स्वाध्याय विद्यापीठ की स्थापना,22 वर्षों तक साप्ताहिक जनधर्म का नियमित प्रकाशन किया,भोपाल में किसान भवन का निर्माण और हिन्दी भवन का विकास किया,‘कौन किसका आदमी’ और ‘धुंध के आर पार’ का प्रकाशन,20 मई 1995 को भोपाल में नागरिक अभिनन्दन तथा 1,61,000 रु. की राशि भेंट स्वरूप प्राप्त की। ‘मालवांचल में कूर्मांचल’ नामक अभिनंदन-ग्रन्थ का प्रकाशन। मध्य प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के अतिरिक्त राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहायक मंत्री पद एवं हम भारतीय अभियान के राष्ट्रीय संयोजक पद का दायित्व संभाल रखा है। सम्प्रतिः राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा-राष्ट्रीय संयोजक।

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कमला पंत

‘नशा नहीं रोजगार दो’ आंदोलन के परिणामस्वरूप जनसंघर्ष की विजय; ‘प्रगतिशील महिला मंच’ और ‘उत्तराखण्ड महिला मंच’ की स्थापना; उत्तराखण्ड में महिलाओं को संगठिन करने के सघन प्रयास व अपेक्षित सफलता; महिलाओं की चेतना व आंदोलन के आधार पर अपने संगठन की ओर से देश-विदेश में प्रतिनिधित्व।

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सुरेश नौटियाल

‘द हाई हिलर्स ग्रुप’ की स्थापना की। उत्तराखण्ड आंदोलन में सक्रिय भागीदारी। 1984 में ‘प्रतिपक्ष’ साप्ताहिक में उप-संपादक। 1985 में यूएनआई समाचार एजेंसी में प्रशिक्षु पत्रकार के तौर पर शामिल। 1993 में वरिष्ठ उपसंपादक के तौर पर छोड़ा। 1994 में ‘द ऑब्जर्वर ऑफ बिजनेस एंड पॉलिटिक्स’ अंग्रेजी दैनिक में संवाददाता से शुरुआत और 2000 के अंत में विशेष संवाददाता रहते हुए नौकरी त्यागी। ‘उत्तराखण्ड प्रभात’ पाक्षिक समाचार-पत्र के संपादक व दिल्ली में पहाड़ी पत्रकारों के संगठन उत्तराखण्ड पत्रकार परिषद के महासचिव।

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प्रभाती नौटियाल

कविताएं, लेख, समीक्षाएँ विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित; जे.एन.यू. से एम.ए. के बाद भारतीय विदेश व्यापार संस्थान में 1978-98 तक स्पेनी भाषा का अध्यापन; 1999 से ‘लोर्का’ त्रैमासिक का संपादन, जो मूल से विदेशी साहित्य को हिंदी में प्रकाशित करने का प्रयास है। मेक्सिको में 1980-81 के दौरान वहाँ के साहित्य पर शोध करने वाला पहला भारतीय। लातीनी अमरीकी देशों द्वारा संयुक्त रूप से दिये जाने वाले पुरस्कार ‘सिमोन बोलीवार’ से सम्मानित; दस से अधिक मूल स्पेनी से अनूदित साहित्यिक कृतियां हिंदी में प्रकाशित, जिनमें पाब्लो नेरूदा की कविताओं का संग्रह ‘रुको ओ पृथ्वी’ साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित; स्पेनी-हिंदी कोश का संपादन, जो केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ। सम्प्रतिः आई.आई.एफ.टी., दिल्ली में विजिटिंग प्रोफेसर।

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नन्द किशोर नौटियाल

विगत 50 वर्षों से पत्रकारिता लेखन में सक्रिय। नवभारत, लोकमान्य, लोकमत, सरिता, मजदूर जनता, हिमालय टाइम्स, नई कहानियां, हिंदी टाइम्स आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य किया। हिन्दी ब्लिट्ज, मुंबई का उन्नीस वर्ष तक संपादन किया। विभिन्न विषयों पर अब तक लिखे लेखों की एक पुस्तक ‘परिप्रेक्ष्य’ प्रकाशित तथा एक उपन्यास प्रकाशनाधीन।

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सुभाष धूलिया

मीडिया और जन संचार के क्षेत्र में पिछले तीस वर्षों से कार्यरत। भारतीय जन संचार संस्थान में पिछले 19 वर्षों से एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर अध्यापन। 500 लेख और संचार क्रांति पर दो पुस्तकें प्रकाशित। भारतीय सूचना सेवा के प्रशिक्षण कायक्रमों का संचालन।आई.ए.एस., आई.पी.एस. आई.एफ.एस. और सेना के अधिकारियों को प्रशिक्षण। सम्प्रति- प्रो. विभागाध्यक्ष हिन्दी पत्रकारिता विभाग, भारतीय जन संचार संस्थान, नयी दिल्ली।

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