हिमानी शिवपुरी

एन.एस.डी. रंगमंडल में 11 साल कार्य; मित्रो मरजानी, साइलेंस द कोर्ट इज इन सेशन, द चेरी आचर्ड, अचदर का ख्वाब, सूर्य की अंतिम किरण से पहली तक जैसे 150 से अधिक नाटकों में अभिनय किया; हमराही, हशरतें, एक कहानी, अरुन्धती, डालरबदू, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कसौटी आदि 100 सीरियलों और हम आपके हैं कौन, हम साथ-साथ हैं, दिलवाले दुलहनियाँ ले जायेंगे, प्रेमग्रन्थ, हीरो नम्बर वन, बीबी नम्बर वन, दिलजले, परदेश, कभी खुशी, कभी गम, मुझे कुछ कहना है, बन्धन, कुछ-कुछ होता आदि लगभग 80 फिल्मों में अब तक अभिनय किया.

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एहसान बख़्श (Ahsan Bakhsh)

कुमाऊं विश्वविद्यालय में बी.एड. परीक्षा में स्वर्णपदक; ग्रामीण क्षेत्र में तीन वर्ष तक अध्यापन कार्य; भारत सरकार के संस्कृति विभाग से जूनियर फैलोशिप; ‘पिथौरागढ़-कैलास मानसरोवर यात्रा पथ’ पुस्तक का लेखन; ‘न्यौली’ सांस्कृतिक समाचार पत्र का संपादन; अग्रणी हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन; राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के साथ देश के प्रमुख नाट्य समारोहों में भागीदारी, देश-विदेश के नाट्य निर्देशकों के साथ कार्य।

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हेमन्त पाण्डे

प्रारम्भ में कुछ छोट-छोटे विज्ञापनों में काम किया, जो आज के दिन तक 60 हो चुके हैं। कुछ विज्ञापनों में जोकर के रूप में कार्य। 30 टी.वी. धारावाहिकों तथा 20 फिल्मों में काम। अभी मेरी उपलब्धियाँ ऐसी कुछ नहीं हैं मगर मैं दृढ़ निश्चय करता हूँ कि उपलब्धियाँ अवश्य ही आपको दिखेंगी। कृपया इंतजार कीजिये।

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सुधीर पाण्डे

अनेक फिल्मों और टी.वी. धारावाहिकों में अभिनय किया। जिनमें मुख्य हैं- ‘कर्मभूमि’, ‘मनोरंजन’, ‘कालाजल’, ‘अमानत’, ‘तेजस्विनी’, ‘हुकूमत’, ‘ये शादी नहीं हो सकती’, ‘हम साथ आठ हैं’ आदि। 1978 से 1998 तक रंग मंच से जुड़ा रहा।

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राकेश पाण्डे

लगभग 150 फिल्मों में अभिनेता के रूप में काम किया। भोजपुरी, पंजाबी, राजस्थानी, ब्रज, हरियाणवी, नेपाली, कन्नड़ आदि भाषाओं की फिल्मों में नायक की भूमिका की। भोजपुरी की दो फिल्मों का निर्देशन किया। अब ‘मानस का हंस’ टीवी सीरियल का निर्देशन।

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निर्मल पाण्डे

युगमंच, नैनीताल से अभिनय की शुरुआत। ‘तारा आर्ट ग्रुप’ लंदन द्वारा रंगमंचीय कार्य कलाप हेतु आमंत्रित। रंगमंच के क्षेत्र में लंदन, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जापान में गहन कार्य। 1997 के ‘कांस’ फिल्म महोत्सव में ‘बैंडिट क्वीन’ के शो के अवसर पर शेखर कपूर के साथ आमंत्रित। फिल्म ‘दायरा’ में ट्रान्स वैसटाइट की भूमिका निभाने पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का वालेंतिये पुरस्कार पाने वाले विश्व के प्रथम अभिनेता। टाइम्स ऑफ इण्डिया द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण में शताब्दी के 100 चर्चित लोगों में शामिल। ‘संवेदना’ नाटक ग्रुप का गठन, जिसका नाटक ‘अंधायुग’ रंगमंचीय जगत में व्यापक चर्चा का विषय बना। एलबम ‘गब्बर मिक्स’ के लिये चैनल वी अवार्ड से सम्मानित। फिल्म टी.वी. के साथ-साथ रंगमंचीय क्षेत्र में सक्रियता से कार्य। । शेखर कपूर कृत ‘बैंडिट क्वीन’ से फिल्म अभिनय प्रारम्भ। फिर आगे बढ़ते चले गये। ‘शिकारी’, ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’, ‘औजार’, ‘इस रात की सुबह नहीं’, ‘दायरा’, ‘हम तुम पे मरते हैं’, ‘जहाँ तुम ले चलो’, ‘गॉड मदर’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, आदि अनेकों फिल्मों में अभिनय। अनेक पुरस्कार तथा कुछ फिल्में निर्माणाधीन। एक एलबम ‘जज्बा’ भी जारी हुआ.

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नारायण सिंह (धामी) थापा

अनेक चर्चित न्यूज रीलों व डाक्यूमेंटरी फिल्मों का निर्माण; डिबू्रगढ़ बाढ़ पर बनाई गई फिल्म और ‘मित्रता की यात्रा’ अत्यंत चर्चित और प्रसंशित हुईं; ‘कांगड़ा और कुल्लू’ तथा ‘बर्फ का गीत’ फिल्मों को राष्ट्रपति स्वर्णपदक प्राप्त हुआ; फिल्म ‘एवरेस्ट’ को सर्वोत्तम फिल्म का पुरस्कार मिला। 1980 में लोक सेवा आयोग ने फिल्म प्रभाग के चीफ प्रोड्यूसर पद के लिए चयनित किया। प्रभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती नवें एशियाई खेलों पर फिल्म बनाने की थी। मुझे सेवा विस्तार देकर यह काम सौंपा गया। इस काम की उल्लेखनीय सफलता के लिए मुझे पद्मश्री सम्मान दिया गया। सेवानिवृत्ति के बाद तत्कालीन प्रधनमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम तथा जवाहरलाल नेहरू पर फिल्मों की श्रृंखला बनाने का अवसर मिला। सेवानिवृत्ति के बाद मैंने भारतीय खेल प्राधिकरण के सलाहकार के रूप में भी काम किया। 1983 में भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन ने पर्वतारोहण के लिए की गई मेरी सेवाओं को देखते हुए फाउंडेशन का सदस्य चुना। आत्मकथा ‘बाँय फ्रॉम लम्बाटा’ ‘पहाड़’ द्वारा प्रकाशित।

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