नन्द किशोर हटवाल

प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, कविताएं, लेख, फीचर, लघु- कथाएं, नाटक, बाल कथाएं, व्यंग्य व गढ़वाल की कई अनछुई लोक परम्पराओं पर लेखन और प्रकाशन, गढ़वाल के चांचरी नृत्यगीतों पर शोधकार्य तथा लोकगीतों, कथाओं, मांगल, जागर, रांसे, बगड्वाली, ढोल के ताल, रम्वाण, महाभारत आदि आडियो संग्रह, गढ़वाल की लोक संस्कृति पर 100 से अधिक रेखांकनों की रचना व प्रकाशन; लोक संस्कृति से सम्बद्ध तीन वीडियो फिल्मों का निर्माण, अनेक छोटे-बड़े पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित।

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देव सिंह पोखरिया

कुमाउँनी लोक साहित्य व संस्कृति पर विश्वविद्यालय स्तरीय पुस्तकों का लेखन। अब तक एक उपन्यास व दो कविता संग्रहों सहित 25 पुस्तकों की रचना की है। 100 से अधिक निबंध व शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। विविध आकाशवाणी केन्द्रों से 100 से अधिक कविताएँ. कहानियाँ अथवा वार्ताएं प्रसारित। हिन्दी काव्य के छन्दशास्त्र में विशेषज्ञता। कई समितियों में विशेषज्ञ व सलाहकार। विगत 28 वर्षों के अध्यापन काल में 15 छात्रों का शोध-निर्देशन किया, 3 शोध परियोजनाएं पूर्ण कीं। 4 पत्रिकाओं का सम्पादन, 4 राष्ट्रीय गोष्ठियों का आयोजन, 3 अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी। उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत।

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जगदीश प्रसाद ‘जग्गू नौड़ियाल’

शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार (1987-88); राष्ट्रीय सहस्राब्दि हिन्दी सम्मान (पानीपत-2000) पद्मश्री डा. लक्ष्मीनारायण दुबे सम्मान (पानीपत-2001)। रचनाओं में गीतु की गाड़ (1963), समलौण (1979), मुनाल का पड़ोस (1985), कामधेनु की जर्जर काया (2003) प्रसिद्ध हैं।

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यशवन्त सिंह कठोच

प्रारम्भ में हिन्दी में अनेक कविताएँ, लघु कथाएँ एवं निबन्ध लिखे। इसके बाद 1965 से भारतीय संस्कृति एवं पुरातत्त्व पर कार्य किया। पफलस्वरूप अनेक शोधपत्र व पांच पुस्तकें प्रकाशित हुईं। ‘मध्य हिमालय का पुरातत्त्व (1981), ‘मध्य हिमालय खण्ड-1 (1996) तथा ‘मध्य हिमालय खण्ड-2 (2002) पुरातत्त्व के क्षेत्र में चर्चित पुस्तकें हैं। अनेक शोधलेख प्रकाशित। संस्कृति एवं पुरातत्त्व के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए 1995 तथा 2002 में सम्मानित।

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प्रयाग जोशी

कुमाउँनी लोक गाथा के तीन संकलनों का, लोक गाथाओं पर शोध से सम्बंधित निबंधें (दो जिल्दों में) का, कुमाऊं की वनराजि जाति पर शोध सर्वेक्षण यात्राओं से संम्बधित एक रोचक पुस्तक का तथा सीरा के मल्ल व चंद राजाओं के समय की बहियों का प्रकाशन।

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