सूरजभान सिंह

प्रोफेसर (भाषाविज्ञान), केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, दिल्ली, बुखारेस्त पेरिस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर, अध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार आदि पदों पर नियुक्त।

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रतन सिंह रायपा

शौका सीमावर्ती जन जाति 1974 का प्रकाशन किया। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में शोध पत्रों का प्रकाशन। प्रकाशन का आधार- मानव विज्ञान व पारिस्थितिकी पर अध्ययन, अंडमान निकोबार के ‘आउनजे, करेन, निकोबारीज’, नागालैण्ड के ‘सीमा, रेनगमा, फोम ‘नेपाली’, लाउथा। आदि, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ के आठ वर्ग भोटा, जौनसार-देहरादून पर विशेष अध्ययन। पिथौरागढ़ के ‘झानवाल’, ‘लाम डोटी चोटी डोटी’, ब्राह्मण और पिथौरागढ़, अल्मोड़ा तथा गढ़वाल के ठाकुरों पर अध्ययन।

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केशवदत्त रुवाली

‘कुमाउँनी हिंदी व्युत्पत्ति कोश’ तथा ‘मानक कुमाउँनी शब्द सम्पदा’ का अपने निजी प्रयास से प्रणयन एवं प्रकाशन. 50 से अधिक ग्रंथों व शोधपत्रों का लेखन। कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष तथा अल्मोड़ा परिसर निदेशक के पद पर कार्य किया।

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खड्ग सिंह वल्दिया

1965-66 में अमेरिका के जान हापकिन्स विश्वविद्यालय के ‘पोस्ट डाक्टरल’अध्ययन और फुलब्राइट फैलो। 1969 तक लखनऊ वि.वि. में प्रवक्ता। राजस्थान वि.वि., जयपुर में रीडर। 1973-76 तक वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियॉलॉजी में वरिष्ट वैज्ञानिक अधिकारी। 1976 से 1995 तक कुमाऊँ विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर रहे। 1981 में कुमाऊँ वि.वि के कुलपति तथा 1984 और 1992 में कार्यवाहक कुलपति रहे। 1995 से जवाहरलाल नेहरू सेन्टर फार एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च केन्द्र बंगलौर में प्रोफेसर हैं।

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डी.डी. शर्मा

40 वर्ष अध्यापन व 50 वर्ष शोध का अनुभव। भारत-आर्य, तिब्बत- बर्मी व दरद-पर्वतीय भाषाओं में विशेषज्ञता। इसके अतिरिक्त संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, फ्रेंच, जर्मन, पंजाबी, नेपाली, डोगरी, बंगाली, गुजराती, तिब्बती तथा हिमालय की अनेक भाषाओं का ज्ञान। भाषाशास्त्र, प्राचीन भारतीय इतिहास व संस्कृति में विषद शोध। 30 ग्रन्थों व 150 से अधिक शोधपत्रों का प्रकाशन। जवाहर लाल नेहरू फैलोशिप, इंदिरागांधी मैमोरियल फैलोशिप तथा यू.जी.सी. ऐमेरिटस फैलोशिप प्राप्तकर्ता। अनेक शोध परियोजनाओं का निर्देशन। उ.प्र. संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत साहित्य पुरस्कार। अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित।

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अजय रावत

1991-93 में नेहरू स्मृति संग्रहालय और पुस्तकालय, नई दिल्ली के फैलो रहे। इण्डियन काउन्सिल ऑफ सोशियल साइंस रिसर्च नई दिल्ली के वरिष्ठ व्याख्याता। इण्टरनेशनल यूनियन ऑफ फारेस्ट रिसर्च आर्गेनाइजेशन, वियना (आस्ट्रिया) के आप चेयरमैन हैं। अनेक संस्थाओं के सदस्य। ‘हिस्ट्री ऑव गढ़वाल (1358-1947), ‘हिस्ट्री ऑफ इण्डियन फारेस्ट्री (सम्पादित) तथा ‘मैन एण्ड फारेस्ट’ सहित अनेक पुस्तकें तथा दर्जनों शोध पत्र प्रकाशित। अनेक पुस्तकें संपादित। अभी कुमाऊँ विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अघ्यक्ष हैं।

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शेर सिंह बिष्ट

16 पुस्तकें, अनेक शोधलेख, कविताएँ, कहानियाँ प्रकाशित. कुछेक शोध योजनाएँ पूरी कीं, 10 पीएच.डी. शोध कार्य निर्देशित.

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