जगदीश चन्द्र पाण्डेय

अब तक छः उपन्यास जैसे- ‘गगास के तट पर’ ‘संज्ञा से पहले’, ‘महाकालेश्वर की एक रात’, ‘जानकी से जानकी तक’ ‘धरती और नींव’, ‘दिवोदास के उत्तराधिकारी’ और चार कहानी संग्रह ‘कहा था सुना था’, ‘नेकी राम की चारपाइयाँ’, ‘अपना-अपना दुःख’ प्रकाशित। दिल्ली हिन्दी अकादमी का साहित्यिक कृति पुरस्कार.

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गोविन्द चन्द्र पाण्डे

राजस्थान और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य। अभी आप सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑव हायर तिब्बतन स्टडीज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑव एडवान्स्ड स्टडी शिमला और इलाहाबाद म्यूजियम के अध्यक्ष हैं। कुछ प्रतिष्ठित पुरस्कार, जिसमें ‘मूर्तिदेवी’, साहित्य अकादमी फैलोशिप, ‘विश्व भारती सम्मान’, ‘शंकर सम्मान’ आदि मुख्य हैं, आपको प्राप्त हुये हैं। डी.लिट. तथा वाचस्पति की मानद उपाधियाँ भी प्राप्त हुयी हैं। अनेक चर्चित किताबों तथा सैंकड़ों शोध पत्रों के लेखक।

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दिनेश पाठक

देश की सभी शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। 6 पुस्तकें प्रकाशित, एक पुस्तक का सम्पादन। कई भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में रचनाएं अनूदित

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सुरेश पंत

सृजनात्मक लेखनः कुछ पुस्तकें, कुछ पुरस्कार-सम्मान आदि।भाषा वैज्ञानिक शोध-लेखों से अंतर्राष्ट्रीय पहचान। नाटक लेखन, व्युत्पादन, अभिनय और प्रसारण। शिक्षाशास्त्री, विशेषकर हिन्दी-संस्कृत भाषाओं की शिक्षण-अधिगम सामग्री ;पाठ्य, श्रव्य, दृश्यद्ध का निर्माण, शिक्षा से सम्बद्ध भारत सरकार की अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं/समितियों में सदस्य/परामर्शदाता। शिक्षकों की पुनश्चर्या, भाषा-शिक्षण कार्यशालाओें के विषय विशेषज्ञ, संदर्भ व्यक्ति। भारत के कुछ राज्यों की शिक्षण संस्थाओं में हिन्दी की स्थिति का अध्ययन, विश्लेषण और परामर्श। लगभग 40 पुस्तकें प्रकाशित।

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पुष्पेश पंत

अन्तर्राष्ट्रीय राजनय- सम्बन्धों, हिमालय से भोजन सम्बन्धी अनेक किताबें, शोध पत्र तथा सैकड़ों लेख प्रकाशित। राजनैतिक विश्लेषण, पत्रकारिता तथा टेलीवीजन के चर्चित नाम। एक उपन्यास तथा कुछ कहानियाँ भी प्रकाशित। पहाड़ के संस्थापक-संपादकों में एक। अनेक फिल्मों के निर्माता-निर्देशक। अनेक संस्थाओं तथा संस्थानों के परामर्शदाता।

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प्रदीप पन्त

अब तक 21 पुस्तकें प्रकाशित- 4 उपन्यास, 5 कहानी संग्रह, 4 व्यंग्य संग्रह, 4 यात्रा-संस्मरणों की पुस्तकें, एक विविध लेखों आदि का संग्रह, 3 बाल-कहानी संग्रह। यूरोप की यात्राएं कीं; हिन्दी अकादमी, दिल्ली से तीन बार सम्मानित; इसी अकादमी से हिन्दी भाषा, साहित्य व संस्कृति में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1999-2000 का ‘साहित्यकार सम्मान’; उ.प्र. हिन्दी संस्थान आदि से भी पुरस्कृत; अनेक भाषाओं में रचनाएं अनूदित।

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गौरी पन्त

‘हू इज हू इंटरनेशनल पोइट्री सोसाइटी’ के अनेक भाषाओं की कविताओं का अनुवाद। नेशनल गैलरी ऑफ माडर्न आर्ट नई दिल्ली एवं ग्लेन बारा आर्ट म्यूजियम जापान में चित्र प्रदर्शित। युवाओं के नाम संदेशः उत्तराखण्ड देवभूमि कही गयी है। वहाँ जन्म लेना हमारे लिए परम सौभाग्य की बात है, गौरव है। प्रकृति ने हमारी जन्मभूमि को अद्भुत सौन्दर्य देकर संवारा है। हमें विरासत में जो कुछ मिला है उसे वर्तमान के साथ जोड़ते, निखारते आगे बढ़ना है- विशेषकर युवा पीढ़ी को।

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