जगदीश चन्द्र ढौंडियाल

38 वर्ष का सेवाकाल पूरा किया। विशेष प्रशिक्षण के लिए इग्लैंड का दौरा किया। 32 आलेख व एक पुस्तक ‘माउंटेनियरिंग- एक प्रैक्टिकल गाइड’ प्रकाशित। अनेक भारतीय व विदेशी पर्वतारोहण अभियानों में हिस्सेदारी की। जम्मू-कश्मीर, उ.प्र. व हिमाचल में भारतीय सेना के अनेक पर्वतारोहण अभियानों का नेतृत्व किया। अनेक पुरस्कारों व सम्मानों से नवाजे गये।

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टॉम आल्टर्स

1972 में भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान पुणे में अभिनय में दाखिला लिया और 1974 में स्वर्णपदक के साथ डिप्लोमा पूरा किया। 1974 से बम्बई फिल्म जगत के चर्चित अभिनेता। अब तक 160 फिल्मों व 50 टीवी सीरियलों में काम कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त रंगमंच व लेखन में सक्रिय। चर्चित फिल्मों में चरस, शतरंज के खिलाड़ी, चमेली मेमसाब, क्रांति, देस परदेश, सल्तनत, राम तेरी गंगा मैली, परिंदा, आशिकी, गुमराह, सरदार, सलीम लंगड़े पे मत रो व शहीद उधम सिंह।टीवी सीरियल जुगलबंदी, भारत एक खोज, जुनून, जुबान संभाल के, घुटन, साम्राज्य, नजदीकियां, दायरे, सहर, कैप्टन व्योम व तारा उल्लेखनीय। क्रिकेट पर लिखी पुस्तक पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित।अनेक टीवी मैगजीनों और समाचार पत्रों में खेल स्तंभों में नियमित लेखन।

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आनन्द बल्लभ उप्रेती

पत्रकारिता में ‘सरिता’ (1966) तथा ‘संदेश सागर’ (1967) से शुरुआत। सहयोगी स्व. दुर्गा सिंह रावत के साथ 1978 से पहले साप्ताहिक ‘पिघलता हिमालय’ निकाला। 1980 में एक साल तक दैनिक के रूप में निकला। पुनः यह साप्ताहिक के रूप में नियमित प्रकाशित होता रहा। ‘नैनीताल समाचार’, ‘दिनमान’ तथा ‘नवभारत टाइम्स’ के संवाददाता। ‘आदमी की बू’ (कहानी संग्रह) तथा ‘नन्दा जात के बहाने’ किताबें प्रकाशित।

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प्रभात कुमार उप्रेती

आदमी बनने की निरंतर कोशिश। ‘आइये अपने से शुरू करें’ अभियान के तहत लोगों को अपने आसपास कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरणा हेतु कार्य। पिथौरागढ़ को पॉलीथीन मुक्त करने का प्रयास किया। अतः कुछ लोग पॉलीथीन बाबा कहने लगे हैं। अनेक किताबें तथा दर्जनों लेख प्रकाशित। अस्कोट-आराकोट अभियान सहित अनेक यात्राओं में शामिल। साहित्य तथा रंगमंच से भी गहरा रिश्ता।

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दुर्गा चरण (डी.सी.) काला

1945 में पहले लेख इलाहाबाद के ‘लीडर’ तथा ‘अमृत बाजार पत्रिका’ में प्रकाशित। शीघ्र ही ‘लीडर’ में नियुक्ति। 5 साल वहीं रहे। फिर ‘हिन्दुस्तान स्टैण्डर्ड’ दिल्ली में आया। 4-5 साल इस पत्र में रहे। फिर दिल्ली में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ सब एडीटर बने। दुर्गा दास, मुलगाँवकर, वर्गीज तथा अजित भट्टाचार्जी आदि सम्पादकों के साथ कार्य किया। बाद में न्यूज एडीटर बनाया गया। आपातकाल नहीं भाया और उसी तनाव में 1978 में पत्र से इस्तीफा दे दिया। जिम कार्बेट पर उनकी मशहूर किताब ‘कार्बेट ऑव कुमाऊँ’ प्रकाशित। शिकारी- घुमक्कड़ विल्सन पर किताब प्रकाशनाधीन।

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प्रेम लाल जोशी

अध्यापन, शोध, भाषण, सलाह और समाजसेवा के लिए 76 से अधिक देशों की यात्रा; अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 70 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित; 6 अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं के संपादक मंडल का सदस्य तथा 10 पत्रिकाओं में परीक्षक। इंडियन ऑडिटिंग एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष; एशिया-पैसिफिक नेटवर्किंग ऑफ स्कूल्स ऑफ एकाउंटिंग, आस्ट्रेलिया के संस्थापक सदस्य; ई.ई.ए. यूरोप के प्रबंध मंडल के सदस्य। अनेक अन्तर्राष्ट्रीय पत्रों के रैफरी। भारत में जीरो बेस बजटिंग के पिता के रूप में विख्यात और जीरो बेस बजटिंग और लीजिंग पर चार पुस्तकों की रचना।

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प्रसून जोशी

राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञापनों में पुरस्कार। शुभा मुदगल तथा ‘सिल्क रूट’ के ऊपर चार सुपर हिट ‘एलबम्स’ में धुन रचना के लिए पुरस्कार। फिल्म ‘लज्जा’, ‘आंखें’, ‘क्यों’ में संगीत दिया। तीन पुस्तकें प्रकाशित कीं। ‘ठण्डा मतलब कोका कोला’ एवं ‘बार्बर शॉप-ए जा बाल कटा ला’ जैसे प्रचलित विज्ञापनों हेतु अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता मिली।

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